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एक्कपण्णासमो संधि
तहिं रण. मुहे रुहिरोह-णिरंतरे पहुसमीवे(१) कुरुखेत्तभतरे हेसिय गय-गज्जिय-वर-वाहणे भिडिउ पत्थु संसत्तग-साहणे हम्मइ एक्कु अणतेहिं जोहेहि सो-वि पधाइउ सर-धागेहेहिं सारहि रहु वाह'तु ण थक्कइ मदरु महणे णाई परिसक्कइ ४ रहवरु गयवरु तुरउ ण चुक्कइ वइरिहिं पलय-कालु ण दुक्कइ णर-कर-पारिहस्थि अणियता महुमह-सुह-दंसणु अलहता णहे जूरति असेसवि•सुरवर । वरुण-पवण-वइसवण-पुरंदर अण्णेत्तहे सुर-कामिणि सत्थहो कलहु पवड्डिउ कारणे पत्थहो ८
घत्ता हले हले ओसरु ओसरु तुज्झ ण अवसरु पेल्लहि गहेण णाई गहिय । सुरगणियह-मि ण लुब्भइ एहु कहिं लब्भइ जसु रण-वहुय जे वल्लहिय ।।९
जाम बोल्ल सुर-सुंदरि-सत्थहो ताव तिगत्त भिडिउ रणे पत्थहो दोणे दुमउ विद्ध वीसद्धेहि वाणेहिं कंक-पक्खिउणद्धेहि किव-कुरुवइ-तव-सुय-पय-सेवह रणु पडिलग्गु सउणि-सहएवह वे-वि वि-हय-घय वि-रह णिरत्था वे-वि पधाइय लउडि-विहत्था विहि-मि परोप्पर चूरिय घाएहिं विण्णि-वि ओसारिय साहाएहिं भीमें भीम-भुवंग-समाणेहि विद्ध विविझइ वीसहि वाणेहिं तेण-वि घउ स-सरासणु पाडिउ पुणु लउडेहि परोप्पर ताडिउ भीमें गयए गयासणि चूरिय ण कुरुवइहे विजयास ण पूप्रिय ८
घत्ता तो घयरट्ठहो गंदणु छ'डेवि संदणु खग्ग-फराउह वावरइ । फणिवइ-कुम्म-भयकरु ण गिरि मदरु मज्झे समुद्दहो संचरइ ॥९
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