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________________ पण्णासमो संधि सेणावइ लभइ जाम णहु कइकेउहो वइरि-पुरज यहो सहएवहो गउलहो तत्र-सु यहो पंचह-मि पंच रह णिवमि १७७ ता णाह णिवज्झउ पट्टु महु हउ रण-मुहे भिडेवि धणजयहो भीमहो भुबंग-विघ्भम-भुयहो पंच-वि जम-लोयहो पट्ठवमि घत्ता जइ मई कहव ण इच्छहि कालु पडिच्छहि तो रण-भर-धुर-धारा । जिम्ब दोणहो जिम्ब सल्लहो अ-णिहय-मल्लहो करि अहिसेउ भडारा ||९ विहसेप्पिणु कुरुव-राउ भणइ गंगेयहो पच्छए जो हणइ जिम्ब गुरु जिम्व तुहु जिम मद्दवइ सेणावइ अवरु ण संभवइ वोल्लाविउ दोणु अहिट्ठविउ अउदुवरे पीढे परिदृविउ कंचण-कलसेहिं अहिसेउ किउ रण-धुरहो धुरंधरु होवि थिउ ४ दुज्जोहणु पभणइ कोव-मरे जिह सक्कहि तिह तव-तणउ धरे रह सुब्भड्ड हास-तोस-रिउ पुणु-पणु पभणइ दोणायरिउ कहि कह-व भडारा कज्ज-गइ जें हणमि ण देहि णराद्दिवई मछुहु समरगणे सो अखउ णीसरिय वाय मुहे तेण तउ ८ घत्ता वुच्चइ कउरव-राएं कह व पमाएं तहो विणासु जइ किज्जइ । तो गडीव-धणुद्ररु सुरह-मि दुद्धरु अजुणु केण धरिज्जइ ।।९ जइ खुडिउ गरिंदहो सिर-कमलु तो ण-वि हउ ण-वि तुझुण-वि पवलु कज्जेण तेण त परिहरहि जइ सक्कहि जीव-गाहु धरहि किवि-कंतु णवर मच्छर-भरिउ जइ कह-व ण पत्थे अंतरिउ तो धरमि जुहिठिल भंति ण-वि रक्खंति जह-वि अमरासुर-वि ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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