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________________ १७६ सहुँ कवग तेहिं संगाम किय तउ आयवत्तु तउ वइसणउं तउ पंडव कउरव आण-कर मं करहो परोप्परु गोत्त-खउ रिहमिचरित तउ तणिय पिहिवि तउ तणिय सिय तउ वेज्जउ चामर वइसणउं परिपालहि अप्पणु स-धर धर रवि -णंदणु पभणइ कहमि तउ ८ धत्ता तेत्तियहो पसायहो पहु-अणुरायहो एहु काई महु जुज्जइ । सामिसाल-अणुहुत्ती जिह कुलउत्तो केम ताय महि भुज्जइ ।। ९ [७] जाणमि जिह कुंतिहे जेट्ठ-सुउ जाणमि जिह धम्मपुत्तु लहुउ जाणमि जिह मेरउ वइसणउं जाणमि जिह रज्जु महत्तणउं चामोयर-चामर-वासणउं सेयायवत्त जिह अत्तणउं जाणमि कुरु पंडव आण-कर जाणमि असेस महु तणिय धर ४ जाणमि सुहु सुर-गिरि-जेत्तडउं महु ताहं वि विहडइ एत्तडउं जं किउ मय-वार माण-मलणु जं जउहरे देवाविउ जलणु जं कवड-जूवि महि अवहरिय जं जण्णसेणि वालेहि धरिय जं वसणु णिहोलिउ लइउ धणु ___एककु-वि ण दिण्णु जं गामहणु ८ पत्ता पुणु पुणु गंगेयहो दूसह-तेयहो चरण णवेप्पिणु घोसइ । सधि समउ दुःवेयड्ढेहिं पंडव-संढेहि हुय ण होइ ण होसइ ।। ९ ८) एत्यंतरे पभणइ गंग-सुउ मई एण णियों कहिउ तउ अच्छउ कुरु-पंडव-चिंतण उं पणवेप्पिणु गउ रवि-तणउ तहिं णाराय-णियर-कापरिय-भुउ किर बंधु-जणहो मा होउ खउ महु वट्टइ कारणु अप्पणउं णिय-मंदिरे कुरुव-णरिंदु जहिं ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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