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सहुँ कवग तेहिं संगाम किय तउ आयवत्तु तउ वइसणउं तउ पंडव कउरव आण-कर मं करहो परोप्परु गोत्त-खउ
रिहमिचरित तउ तणिय पिहिवि तउ तणिय सिय तउ वेज्जउ चामर वइसणउं परिपालहि अप्पणु स-धर धर रवि -णंदणु पभणइ कहमि तउ ८
धत्ता तेत्तियहो पसायहो पहु-अणुरायहो एहु काई महु जुज्जइ । सामिसाल-अणुहुत्ती जिह कुलउत्तो केम ताय महि भुज्जइ ।। ९
[७] जाणमि जिह कुंतिहे जेट्ठ-सुउ जाणमि जिह धम्मपुत्तु लहुउ जाणमि जिह मेरउ वइसणउं जाणमि जिह रज्जु महत्तणउं चामोयर-चामर-वासणउं
सेयायवत्त जिह अत्तणउं जाणमि कुरु पंडव आण-कर जाणमि असेस महु तणिय धर ४ जाणमि सुहु सुर-गिरि-जेत्तडउं महु ताहं वि विहडइ एत्तडउं जं किउ मय-वार माण-मलणु जं जउहरे देवाविउ जलणु जं कवड-जूवि महि अवहरिय जं जण्णसेणि वालेहि धरिय जं वसणु णिहोलिउ लइउ धणु ___एककु-वि ण दिण्णु जं गामहणु ८
पत्ता पुणु पुणु गंगेयहो दूसह-तेयहो चरण णवेप्पिणु घोसइ । सधि समउ दुःवेयड्ढेहिं पंडव-संढेहि हुय ण होइ ण होसइ ।। ९
८)
एत्यंतरे पभणइ गंग-सुउ मई एण णियों कहिउ तउ अच्छउ कुरु-पंडव-चिंतण उं पणवेप्पिणु गउ रवि-तणउ तहिं
णाराय-णियर-कापरिय-भुउ किर बंधु-जणहो मा होउ खउ महु वट्टइ कारणु अप्पणउं णिय-मंदिरे कुरुव-णरिंदु जहिं
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