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________________ १७४ लकुवर थेर सक्कंदणह दुज्जोहण किज्जइ संधि लहु जिहिं णिज्जिउ हउ म सिहंडिएण एवं भणेवि विउ विरह-व संगय-वत्तउ भोईरहिणंदणु मुच्छ गर दुरुज्झिय - विक्कम चारहडि कुरु पंडव जायत्र मागहिय तो संतणु लद्ध-सण्णु चत्रइ जं चंदाइच्चेहि छित्त वि सुंदरु सुगंधु सीयलु विमलु गंडी चडाविउ लइउ सरु वारुणेण विणिम्मिर विमलु जलु दिणयर-कर-पश्चिड्डिउ मोक्ख-पुरिहे जं पिज्जइ घन्त्ता सुट्टु बिसण्णउ महिला सत्त जग्गोह-रोह - पारोह - भुउ महि-महिहर-महिरुह - दारणई इयत्रायर इं वम्हत्थ - सउम सामुद्द- पउम - वइशेयणई Jain Education International वसुद्धु देहि पहि-गंदणहं सो कवणु मणुसु जो भिडइ महु तं कि संगामें मंडिएण रिहणेमिचरिउ मुच्छ - विहलु स-वेयणु । सog होइ णिच्चे ॥ ९ [३] णं लक्खणु रावण-सत्ति-हउ हा ताय भगत मुक्त - रडि धाइय- भिंगार-वारि- सहिय जलु पियभि दिव्वु जइ संभवइ ४ जहि भिडिय ण पत्रण - विहंगम वि तो पत्थो वियसि मुह-कमल णं थिउ सिंदाउहु अंबुहरु गंगेएं वंकिउ मुह- कमलु ८ [४] सरि सुएण पसंसिउ पंडु-सुर कहो अण्णहो दिव्वई पहरणई कउवेरग- सुर-पउरंदरई नारायणत्थ - तइलोयणइ धत्ता ए मईच्छिउ णिरुवमु अवरु णिएवउ । कहोर्नव ण दिज्जइ तं सुहु सलिलु पिएवउ || For Private & Personal Use Only ८ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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