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________________ पण्णासमो संधि विणिवाइए णइ-गंदणे भड-कवंदणे गुरुहो अणिठिय-तोणहो । दुज्जोहणेण सहत्थे विक्कम-पत्थे वर्ल्ड पटु रणे दोणहो ॥१ [१] गय णिसि विाणु रवि उग्गमिउ घोसिय अमारि पडहउ भमिउ णिरवज्जय जय-परिपुज्जणिय वहुलट्ठमि मग्गसिरहो तणिय कलहंतहं एत्तिय दिवस गय एवहिं अवलंबहो जीव दय अज्जोणउ वासरु परिहरहो गंगेयहो परिरक्खणु करहो ४ पायारु परिह लहु जिम्मवहो साहणई चयारि-वि कम्मवहो उम्भहो पड-मंडव तोरणइ परिसेसहो पहरण-पहरणइ ज जेम वुत्तु तं तेवं किउ णिज्झाणु णिराउहु सिमिरु थिउ कुरु पंडव जायव मिलिय तहि सर-सयणे तरंगिणि-तणउ जहिं ८ घत्ता अहो अहो रज्ज-मयंधहो जदु-जरसंधही पंडव-कुरुव-णरिंदहो । मं दुकहो संगामहो भणइ पियामहु सरणु जाहु गोविंदहो । [२] णिय-वंधव-सयणहो खउ करेवि गइ कवण लहेसहो रणे मरेवि णिम्मंसहो कारणे गोक्खुरहो मा सारमेय जिह विप्फुरहो वोलावेवि णरवर सहस सय णउ काह-मि पच्छए पिहिवि गय णउ पडिसुइ-पमुहहं कुलहरई णउ रुद्द-जिणिंद-चक्केसरह ४ णउ णव-वल-णव-णारायण गउ णल-हुमहं वलि-रावणहं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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