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कहे मरेविलहेसहि कवण गइ भणु भणेवि ण-वितें त्रि हउ गावग्गणणंदणु सिक्खविउ वारवइ पराइ दिट्टु पहु
किउ अहिवायणु धीरेहिं कुसलाकुसलि करेष्पिणु
- त्रिकम-गुण- भरियई जेण दुजोहण राणउ
गावग्गण-णंदणु अतुल-वलु दुज्जोहणु सयल - कला - अहिउ
जोइज्जइ जइ तो कुरु-णरहं तत्र-दणु पुणु विवोल्ल करइ दूसासण-कण्ण- सउणि कुरव किं संभरति जलयर - रसिउ किं सरइतिगतउ उत्थरिउ किं सरइ असेसु त्रि कुरव - वलु
तो वियसियच्छि - मुह-कंजएण गंधारि भडारा संभरइ
धयर सुट्ट सुमरंतु थिउ सुमरिय तुम्हई दूसासणेण
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ए-विण सुनहिं अंगवइ घरट्ठे पुज्जिउ दूउ गउ तो पच्छ संजउ पट्ठविउ णं दोस-निहाएं गुण- णित्रहु
धत्ता
पंडव - वीरे हिं
- वि ताहं नियत्तियउ
आसणु देष्पिणु पुच्छिउ कुरु वलु केत्तिउ ॥ ९
रिट्ठमिचरिउ
[१४]
वोल्लइ पप्फुल्लिय-मुह कमलु एयारह - अक्खोरिणि सहिउ
तुम्हई जि ताहं बलु भायरहं धयरट्ट काई मई संभरइ किं संभरति णर-वावरव (?) खय-काले णाई बइवस - हसिउ
सहएव-उल- भीमहुं चरिउ जं पत्थे गोग्गहे किउ विहलु
धता
पंडव-चरियई
पिसुणु अयाणउ [१५]
ताई काई ण त्रियप्पइ |
वसुमइ अद्भु ण अप्पइ ||
तव - णंदणु प्रभाणिउ संजएण जइ रज्जु जुहिट्ठिलु परिहरइ जं विसेण भीमु ण-विखयहो णिउ जउहरे विण दड्ढ हुयासणेण
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