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तेत्तीसमो संधि
पंडवह परक्कम संभरहो विसु भक्खिउ णिग्गय जउहरहो राहा हय परिणिय दुमय-सुय अवहरिय सुहद्द सुहद्द-भुय ओहामिय खंडवे अमर-सय तव-तालुय-कालकेय णिहय कुरुवइ मेल्लाविउ दुज्जएण सहुं विग्गहु कवणु धणंजएण
धत्ता स-सर-सरासण-हत्थे एक्के पत्थे गो-गह काई ण पाविय । कण्ण-दोण-दूसासण किव-दुज्जोहण दंतेहिं तिणइं धराविय ॥
[१२] तं सरि-गंदणु चवइ स-गेहउ जं जं भणहि दूय तं तेहउ तहिं काले कण्णु कोवारुणिउ आहुइहि हुयासणु णं हुणिउ दुवियड्ढहो संढहो णिग्गुणहो वलु केत्तिउ वण्णहो अज्जुणहो जइयहुं दोमइ दूसासणेण कड्ढिय णिय-करि णिव-दूसणेण णव-णलिणि व मत्त महा-गएण लंकेसर-घरिणि व अंगरण तवसुय-जम-भीम सहे जएण(?) तइयहुं किउ काई धणंजएण वइयत्तण-वयण-विरोहिएण स-कसाएं वुत्त पुरोहिएण . केस-ग्गहु जं ण मुयावियउ त जणे अणुराउ चडावियउ
घत्ता चंगउ किउ पई अत्तणु कण्ण भडत्तणु अग्गए भाइ णिहम्मइ । अज्जुण-वाणहं संकेवि अंगई ढंकेवि विह णासेप्पिणु गम्मइ ॥
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तुहुं दुण्णउ दुज्जसु तुहुँ जे कलि उप्पण्णु कण्णु तुहं कुरुहुँ सलि सिय णासिय पई दुजोहणहो तुहुं पलउ असेसहो साहणहो तुहुं पंडव भारहि तुहं जे वलु तुहुं दुम्मुहु सव्वहं खलहं खलु खउ आणेवि कउरव-पंडवहं अवहरेवि सहोयर-वंधवहं
11.9.a ज. हणणसमत्थे 12.8 b अणुराउ.
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