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रिट्टणेमिचरिउ
[२०] सम-चरण-एक्क-चरणाइएहिं वीरासणद्भ-वीरासणेहि गिद्धोयलीण-गय-सोडिएहि गो-सयणु-त्ताणुग्गुडिएहिं अज्झोक्यास-णिसि-जगणेहिं पलिय कण-पलियंकणेहि गोदोहण-कुक्कुड-विभभेहिं उदंड-बायमडओवमहिं छट्ठट्ठम-दसम-दुवारसेहि आहार-विसेसेहिं शीरसेहि किउ दुक्कर काय-किलेसु जेण संसार-महण्णउ तिण्णु तेण णिवसेवउ अवरु विचित्त-थामे तरु-कोडरे गिज्जणे सुण्ण-गामे उज्जाणे मसाणे गुहतराले गिरि-सिहरे सिलायले वोल्ल-जाले ८
धत्ता
वाहिर-तवे आराहिएण होइ णरिंद सई भुवेहिं
अन्त र-तवो-वि आराहिउ । सव्वु कसाय-राय-गणु साहिउ ॥
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सय भुएव-कए अट्टचालीसमो इमो सग्गो ।।
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