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________________ अडचालीसमो धि अणसगु दु पयारु तव पहाणु अवमोरित वत्तीस-गासु अह पुरिसहो साहिय जाम तीस रस-चाउ करेवर जवरेण भुजेवर भत्त दिक्क - कालु वित्तइ वि-सप्पि वि-लवणु-विसुद्ध उ सक्कर गुलु तत्र-राउ खंडु सवणच्छि-फरिस - वाणिदिया ई पसंतें चरिया - गोयरेण भुजेव पत्ते एरिसेण विहरे एम अवग्गहेहिं गय-पडियागय-गोमुत्तरहि परिवज्जिय-गोउर-तोरणेडि भिक्ख परिगणणाणुक्क मेहि इय एक्क - वित्ति परिसंख जासु पुणु कालु गमेवर जइवरेण एण जिणागम-भासिएण हत्य-गेज्नु तहो मोक्ख-फलु अणुसूरिय-पडिसूरिएि पडिमा जोय-चउम्मुहे हिं Jain Education International [१८] कालावहि आमरणात्रसाणु ऊणूणु सिन्धु जावेक्क-गासु महिल-वि कवल जा अट्ठावीस जसु कारणु सासय- पुरवरेण स- वसाणु स पाणिउ सारणालु अ- चि·ि डिल्लि अ-महिउ अ-दुदु स- सरीरे करेवड एम दंडु जीर्हदिए जिए सवई जियाई धत्ता जो संचरई महा-रिसि - मग्गे । कारण कवणु वराएं सम् ॥ [१९] परिसंख करेवी जइवरेण जइरण धरिज सुपुरिसेग णिय जीहाणाई (?) णिग्गहे है भामरि संवुक्कावत्ति मासिक-सित्थ-कय-पारणेहिं पुप्फोवहार-परिहोवमेहि कर- गेञ्झई सव्वई सुहई तासु णिथ- काय-किलेसें दुक्करेण धत्ता उद्ध- तिरिय-सूरिएहिं भमेव । इंदिय सब णिरोहु करेवउ || १५९ For Private & Personal Use Only ४ ८ ९ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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