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________________ १५६ रिट्ठणेमिचरिउ दुक्कणिया-पमुह-दयावरेण सिरे लोउ करेवउ जइवरेण परिहाणु चएवउ तवसिएण णिगंथ-मोक्ख-मग्गासिएण पढिलिहणु करेवउ कमल-मत्त कर-चरण-अट्ठ-कत्तरि-णिमित्त परिचाउ करेवउ मज्जणाहं उबट्टण-मलणभंजणाह पहाण जण-धूव-विलेवणाहं गह-छेय-दियावलि धोवणाह तो पावेवि दइयं वरिय दिक्ख सिक्खेवी पुणु णिरवज्ज सिक्ख सुय-केवलि-गणहरएव-दिट्ठ पत्तक्क-बुद्ध-दस-पुन्वि-सिट्ठ ण पडिज्जइ णयर-समुद्दिजाए थाइज्जइ थाइए परम-याए धत्ता सिक्खेवी सिक्ख महा तवेण विणउ करेवउ जो जिण-भासिंउ । काइउ वाइउ माणसिउ दसण-णाण-चरित्त-तवासिउ ॥ [१३] जसु विणउ तासु दंसणु पहाणु जसु विणउ तासु वित्थरइ णाणु जसु त्रिणउ तासु चारित्तु थाइ जसु विणउ तासु तवचरणु. भाइ विणएण विढप्पइ परम धम्मु विणएण सुमाणुसु देह-रम्मु विणरण रिद्धि विणएण सोक्खु विणएण सम्गु विणएण मोक्खु लभइ विणएण समाहि-मरणु ण समाहि मुएवि पर परम-सरणु मणु तुरउ धरेवउ दमेवि तेम वय-दावणु मुएवि ण जाइ जेम मण-मत्त-महा-गउ विसम सीलु सुर-णर-फणिंद विदवण-लील्लु कड्ढेवउ णाणंकुसेण तेम ण मुयइ सझायालाणु जेम धत्ता सलिलहो मज्झे मय कु जिह णिय-मणु घरोंव ण सक्कइ कोइ । जेण समाहि-मरणु लइउ सो पर मोक्खहो भायणु होइ ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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