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रिट्ठणेमिचरिउ
दुक्कणिया-पमुह-दयावरेण सिरे लोउ करेवउ जइवरेण परिहाणु चएवउ तवसिएण णिगंथ-मोक्ख-मग्गासिएण पढिलिहणु करेवउ कमल-मत्त कर-चरण-अट्ठ-कत्तरि-णिमित्त परिचाउ करेवउ मज्जणाहं उबट्टण-मलणभंजणाह पहाण जण-धूव-विलेवणाहं गह-छेय-दियावलि धोवणाह तो पावेवि दइयं वरिय दिक्ख सिक्खेवी पुणु णिरवज्ज सिक्ख सुय-केवलि-गणहरएव-दिट्ठ पत्तक्क-बुद्ध-दस-पुन्वि-सिट्ठ ण पडिज्जइ णयर-समुद्दिजाए थाइज्जइ थाइए परम-याए
धत्ता
सिक्खेवी सिक्ख महा तवेण विणउ करेवउ जो जिण-भासिंउ । काइउ वाइउ माणसिउ दसण-णाण-चरित्त-तवासिउ ॥
[१३] जसु विणउ तासु दंसणु पहाणु जसु विणउ तासु वित्थरइ णाणु जसु त्रिणउ तासु चारित्तु थाइ जसु विणउ तासु तवचरणु. भाइ विणएण विढप्पइ परम धम्मु विणएण सुमाणुसु देह-रम्मु विणरण रिद्धि विणएण सोक्खु विणएण सम्गु विणएण मोक्खु लभइ विणएण समाहि-मरणु ण समाहि मुएवि पर परम-सरणु मणु तुरउ धरेवउ दमेवि तेम वय-दावणु मुएवि ण जाइ जेम मण-मत्त-महा-गउ विसम सीलु सुर-णर-फणिंद विदवण-लील्लु कड्ढेवउ णाणंकुसेण तेम ण मुयइ सझायालाणु जेम
धत्ता सलिलहो मज्झे मय कु जिह णिय-मणु घरोंव ण सक्कइ कोइ । जेण समाहि-मरणु लइउ सो पर मोक्खहो भायणु होइ ॥
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