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अट्टचालीसमो संधि
[१०] आयण्णउ पोत्था-वायणाई मलु धरउ चरउ चंदायणाई सेवउ तरु-मूलई पिउ-वणाई वाहिर-सयणई अत्तावणाई विसहउ बावीस परीसहाई इंदियई परज्जउ दूसहाई सम्मत्त-विहणई दिहि ण दिति णवखराइं किं तमु खयहो णिति तउ संजमु णियमु चरित्तु णाणु दय-धम्मु सच्चु सज्ज्ञाउ झाणु गुत्ति-त्तउ पंच महावयाई अणुवय-गुणवय सिकवावयाई आयई अवरइ-भि अशुट्टियाई सब्बई सम्मत्ते परिट्टियाई जिह सायरे सव्वई सरि-मुहाई जिह सासय-पुरे सासय-मुहाई
धत्ता
सत्रहो पुरहो पउलि जिह जिह पायवहो मूलु अहिटाणउं । जिह चूडामणि मणि-गणहं तिह सबह सम्मत्तु पहाणउं ।।..
सम्मत्ताराहण हाइ एम चारित्ताराहण कहमि जेम तहि भत्त-पइण्णउ दुइ-पयारु स-वियारउ चालीसाहियारु अ-वियारउ तेत्थु णिरुद्ध पवरू तवबंतु परम-सद्धाइ अवरु स-वियारहो तहि पढमाहियारि परिचाउ करेवउ देह-हारि कर-चरण-सवण-लोयण-विणासे दुक्कालागमणे वण-प्पवासे वय-भंग-पयारए वंधु-वग्गे वुदृत्तणे घोरे महोवसग्गे दुन्त्रिसह-वाहि-अभंतराले अवरे-वि अणिढे अरिट्ठ-काले अवहत्यिय देह-महाभरेण सण्णासु करेवउ जइवरेण
ঘর। लोउ अ-चेलिम पडिलिहणु तणु-वियार-बोसिरणु करे उं । बंभचेरु चिंधउं धरेवि अवरु चउठिवह-चरणु चरेवउ ॥
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