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________________ १५४ रिटणेमिचरिउ [८] सत्तारह मरणइं भासियाई संखेवेण पंच पयासियाई पहिला उं पंडिय-पंडियक्खु जो मरइ तेण तहो परम-मोक्खु वीय महरिसिहि तवेण चिण्णु तं पंडिय-मरणु ति-भय-भिण्णु पाओय-मरणु इंगिणिय-मरणु चउ-विह आहार-णिवित्ति-करणु ४ मुउ तेण पमत्तई करेवि आउ चउ-ठाणिणि उवसम-सेटि जाउ तइयां सिसु-पंडिउ णामधेउ पंचम-गुण-थाणु गिहत्थ-हेउ गुण-थाणु चउत्थु चउत्थएण मरणेण वाल-णामुत्थरण पंचम बाल-बालाहिहाणु जो मरइ तेण तहो पढमु थाणु ८ धत्ता पंचह मज्झे पसंसियई तिण्णि तिलोय-दुक्ख-परिहरणइं । पढम-दुइज्ज-तइज्जाइं केवलि-साहु-गिहत्थहं मरणई ॥ ९ [९] जो लेप्पणु दुक्कर दुरुवरसु परिहरइ जिणागमु जिरवसेसु गणहर-विचिण्णु दस-पुव्व-सुत्त पत्तेक-वुद्ध केवलि-पवुत्त अत्तागम-परम-पयत्थ-चत्तु आसंक-कंख-विदिगिच्छ-वंतु जपइ पर-दिट्टि पसंस लेवि अणु-दियहु पराय-अणोबसेहि मायावि अणुज्जउ पयइ-खुदु सो मिच्छा-दिट्टि महा-रउद्द छद्दव्व पंच गुरु णव पयत्थ सदिय जे ते दंसणत्थ उत्समियां खाइउ उहय-सुद्ध सम्मत्त ति-विहु दिदु जेहि लद्ध ते सम्माइट्रि ण का-वि भंति पुवक्खिय-गुण-ठाणेहि ठंति धत्ता जं तइलोय-महग्धयर दिणयर-कोडि-समुज्जलगत्तउं । तं सभ्मत्त-महा-रयणु जसु घरे तेण ए काई विढत्त ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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