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सत्तचालीसमो संधि
हय दस सहस मत्त मायंगह दस तुरयह दस स-रहहं विसालह तो वारह सामंत पघाइय विडिउ चेइयाणु रणे तेत्तहे किम्मो विरुद्ध घट्टज्जुणु भूरीसत्रहो भीमु उवढुक्कउ चरिउ सुदरिस उत्तर-कंतें दुमय विराड दोण-दायाएं
"एवं दलई जुझाई परिलग्गई - केहि-मि काह-मि चावई छिण्णई केहि - मि काह - मि वणियई गत्तई केहि -मि काह-मि रहवर ताडिय केहि मि काह मिहिय तुरंगम
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- तर्हि अवसरे धाइउ दूसासणु विद्ध सिलीमुहेहिं तिर्हि अज्जुणु पंड वर गंडीव - विहत्थे
घाउ सिहंडि गंगेयहो रहु रहा देवि सिणि-गंदणु
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मय- परिमल - मेलाविय- भिंगह चूरिय विणि लक्ख पायालहं णं स्वय- रवि आयासहो आइय चित्तसेण यानंतर जेत्तहे ईसासणहो महाहवे अज्जुगु दुम्मुह-साहणे भिडिउ घुडुक्कउ किउ सहवें विक्कमवते दोणायरिउ पडिच्छिउ राएं
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जयराएं णरहो णिडायले णिच्चलु णिवकंपु घणंजउ
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उलु विगणहो ओवडिउ । आरिससिंगिहे अभिडिउ ||
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केहि मि काह-मि चिचई भग्गई केहि-मि काह - मि कवयई भिण्णई केहि - मि काह - म खुडियई छत्तइं केहि-मि काह-मि सारहि पाडिय छिण्ण-ढक गय धरणि अयंगम करे विफारेवि स सरु सरासणु जाणा पहउ वीसह पुणु सर-सएण पच्छाइउ पत्थें
धत्ता
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णिक्खय सर पंचग्गि- णिह | पंच- सिंगु थिउ मेरु जिह ॥ ९
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