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________________ १४२ रिहणेमिचरिउ [१०] तो कोवग्गि पवड्ढिउ पत्थही पाडिउ धणु दूसारण-हत्थहो अवरु सरासणु लेवि तुरतें पंचवीस इसु मुक्क फुरते तेण-वि तहो सर-जालु विसज्जिउ दुजोहण-अणुएण परज्जिउ अज्जुणेण विणिभिण्णु थणंतरे णिउ गंगेयहो पासु खणंतरे वड्ढइ तावेत्तहे-वि भयंकर सच्चइ-आरिससिगिहिं संगरु नवहिं नवहिं णाराएहिं ताडिउ एक्कमेक्कु कह-कह-वि ण पाडिट थिउ भययत्त मज्झे तहिं अवसरे वि-धणु वि-सत्ति जाउ णिविसंतरे पेसिय कउरव कउरव-राएं ते-वि परज्जिय माहवि-जाएं घत्ता भूरीसउ णव-णव वाणेहिं ताडिउ ताव विओयरेण । थिर-थेरेहिं धार मुवंतेहिं णाई महीहरु जलहरेण ॥ [११] भूरीसवेण समाहउ एकें जरढाइच्च-समेण पिसकें वंचेवि भीमें सो-जि विसज्जिउ सोमयत्ति सहसत्ति एरजिउ ताम पत्त एयारह राणा णिय-णिय जुज्झई मुएवि पहाणा चित्तसेण-भययत्त-विगण्णेहिं दसहिं दसहि हउ थूणा-कण्णेहिं किव-दुम्मरिसण-सिंधव-राएहिं विद्व तिहिं जि तेत्तेहिं पाराएहिं सल्ले णवहिं तिहिं जे कियवम्मे वीसहिं दुम्मुहेण दढ-बम्में विहिं विंदाणुविंद-णामाणेहिं विज्झइ पंचहि पंचहि वाणेहिं तेण-वि तिहिं तिहिं हणेवि महारह भग्ग गरिंदउत्त एयारह ४ घत्ता साहारिय आसात्यामेण लए लेहु लेहु जइ इच्छहु मं भज्जहो एक्कहा जणहो महि देणहु दुजोहणहो । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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