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________________ १३४ रिट्टणेमिचरिउ [१६] तो तिण्णि-वि ताडिय जेत्तिएहिं पडिविद्ध तिहि-मि सो तेत्तिएहि सहएउ समरे सत्तहिं णिसिद्ध तेण-वि पडिवउ सत्तरिहिं विद्ध तिहिं णउले तेण वारहहिं छित्त तहि अवसरे दोणायरिउ पत्तु सिणि-णंदण-भीम भयंकरेहि विणिहय पंचहि पंचहिं सरेहिं ४ तेत्तिहिं सो तिहिं तिहिं सायएहि तो तहिं भाईरहि-णंदणेण विहिं वाहेहि एक्क-धणुद्धरेण पेक्खतह भीम-धणंजयाहं जम-दंड-परिह-फणि-आयएहिं चउ-वाहोवाहिय-संदणेण जम-काल-कयंत-भयंकरेण जायव-सिणि-सोमय-सिंजयाह धत्ता पंचालह मच्छई कइक्रयह तुरय-दुरय-णर-पत्थिवह उप्परे पाडिय वाण-सय । सवहं चउद्दह सहस हय ॥ . ९ जं वलु णिट्ठविउ पियामहेण तं णरु वोल्लाविउ महुमहेण ... कि सेरउ अच्छहि सव्वसाइ हणु साहणु जाम ण खयहो जाइ पणवेप्पिणु अज्जुणु भणइ एवं सुहि-पियर-पियामह हणेवि देव जं होसइ तेण ण किंचि कज्जु तुहुं तव-सुउ करिसहु वे-वि रज्जु ४ महु णरउ ण सक्कइ घरेवि को-वि तुम्हहं उवरोहें भिडमि तो-वि. अलसंतें पवर-पुरंजएण पाडिउ कोवंडु धणंजएण पुणु वीयउ लइउ पियामहेण तमि छिण्णु खुरुप्पें दूसहेण पुणु तइउ लइउ महा-गुणइदु तमि हयउ कलत्तु-व दुन्त्रियदु ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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