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________________ रिटणेमिचरिउ १३२ माराविय बंधव मित्त जेण पडवहुं विजठ महिमहु महासु तो परिपालिय-कुरु-जंगलेण 'परिवेढिउ तेण किरीड-मालि णउ जाणडं जासइ पहेण केणजरसंध-कुरुहुं केवलु विणासु पट्ठविउ तिगत्तउ सडं वलेण सलहावलि जिह पेसिय सरालि पक्ष घत्ता णरु णवहिं सारहि हरि सत्तरिहिं रणउहे विद्ध तिगत्तएण । आरोडिय केसरि विणि जण णाई गईदें मत्तएण ॥ ९ [१३] जालंधरि वहुय किरीडि एक्कु पहरतु परिहिउ जिह अणेक्कु गंडीउ भमइ णमलाय-चक्कु कोसावहिं परि दीसइ पिसक्कु हय-गय-णर रण-रस-सीरियाग विवलाय रणंगणे दिण्ण भंग को-वि णासइ पवर-तुरंगमेण को-वि रहेण को वि तंवेरमेण ४ को-वि तेत्तहो होतउ झंप देइ अप्पाणउ अप्पाणेण णेइ उप्पण्णु कहो-वि जंघोर भंगु ण चलंति चलण थरहरइ अंगु संतणउ ताम सहुं वलेण पत्तु मं भजहो रणे रक्खहो तिगत्त एत्तहे-त्रि धणंजउ पंडवेहि परिवारिउ किय-सर-मंडबेहिं ८ धत्ता गउ गयहो तुरंगु तुरंगमहो रहु रहवरहो समावडिउ । णरु णरहो णरिंदु णरिंदहो सयलु स. मच्छरु अब्भिडिउ ॥ ९ [१४] सिणि-सुएण ताम भड-भीयरेहि कियवम्मु विद्ध पंचहि सरेहि दुमएण दोणु तिहिं मग्गणेहि सत्तहि जोत्तारु सु-लक्खणेहि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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