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________________ छयालीस संधि मच्छेहिं दसहि कय-विग्गण वीसहिं सिहंडिणाम- गहेण सरि सुए वितं सर-जालु भग्गु गुणु हिष्णु दुमय- धणु-कोडि- लग्गु घन्ता णिग्गुणु जे होवि वरि अच्छियउं वाणासणु दुमयहो तणए करे घणु अवर लेत्रि जुत्तार विद्धु परिसक्किउ सयलेहि कउरवेहि पहु पहुहे स-मच्छर समुहु आउ छिज्जेति सिरई भिज्जंति देह हय कण्ण चमर कर दसण सारि अण्णत्त हे हयवर छिण्ण-गत्त अण्णई रह-विंदई ताडियाई घत्ता अण्णत्त हे णिवडिउ सुहङ- सिर लक्खिज्जइ णत्र कंदोटु जिह महि मंडिय सफरे तणु-ताणाहरणे पहरणेि रुहिर गइ समुट्ठिय पिहुल- दीह जणु जंपइ सुठु विरत - भाउ असिवरेद्दि Jain Education International [११] विउ विरहु पियामहु रणे णिसिद्धु पारद्धु महाहउ तंवेरम वर - वेरभासु संगर अच्चंतु महंतु जाउ णिवडंति दंति णं पलय- मेह णं पडिय महा-गिरि पायवारि णं धाउ - घराधर धरणि पत्त गंधव-पुर णं पाडियाई १३१ णउ गुणेण कुडडं किउ । एवं णाई वोलंतु थिउ ॥ ९. कंठाहरणहो मज्झे थिउ । विसहर - वेढावेदि - किउ || [१२] घय-छत्त- पडाया-चामरेहिं रह जोह - तुरगम वाहणेहिं णं ललइ कयंतहो तणिय जीह एउ एत्तिउ दुज्जोहणहो पाउ For Private & Personal Use Only ८ ४. www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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