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________________ छायालीसमो स घि १२९ [७] पंचहि णाराएहि गंग-पुत्त विणिवारेवि रणे अहिमण्णु पत्तु एत्तहिं किवेण जय-सिरि-समिद्ध सिणि-णंदणु णहि सरेहि विद्ध णव-णवहिं हणेविणु णराउ मुक्कु सो आसत्थामें णहे विलुक्कु जं दिट्ट वाणु वाणेण खलिउ किउ मेल्लेवि दोणायणहो चलिउ जुजुहाण-दोणि आभिट्ट वे-वि सवडम्मुहु रहु रहवरहो देवि सइणेयहो पाडिय चाव-लट्टि धणु अवरु लेवि सर घिविय सट्ठि मुच्छा-विहलंघलु दोण-पुत्तु धय-दंडु घरेप्पिणु थिउ मुहुत्तु चेयणे लहेवि सिणि-सूणु विद्ध उरु भिदेवि सरु घरणिहि णिसिद्ध ८ घत्ता तो दोणायरिएं सु-कुद्धए सच्चइ वीसहि सरेहिं हउ । णिकंपु परिट्ठिउ मेरु जिह पडिवउ भिडिउण मुच्छ गउ ॥ ९ [८] पडिवण्णए तहिं संगाम-काले गुरु-सीस परोप्पर भिडिय वे-वि सेयासे परिह-सम-प्पहेहि कम्मार-कम्म-परिमज्जिएहि वीभत्थु परिट्टिउ अंतराले गंडीव-पवर-घणुधरई लेवि दिणयर-कढोर-कर-दूसहेहि गिट्ठर-भुय-अंत-विसज्जिएहिं गुरु विद्धु णाई दुमु अलि-गणेहिं णर-सर विणिवारिय ण किउ खेउ पेसिउ सुसम्मु दुज्जोहणेण आलाण-खंभु णं विहिं गयाहं सत्तारह-वारह-मग्गणेहिं आरुटूठु सुठु मणे भूमि-देउ तहिं अवसरे पर-मइ-मोहणेण थिउ अंतरे दोण-धणंजयाहं ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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