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अवहे जे भड-कडवंदणेण
पुणु
विहिं तो तणु-ताणु छिण्णु
गउ मोहहो तो वि ण जाउहाणु
जग - मोह
पेसिउ ताम सत्थु
ओसारिउ आरिससिंगि रणे जिह मत्त - इंद मयाहित्रेण
दुज्जोहणु पभणइ थाहि थाह
ऋणु हणु अपसत्थु अपत्थु वालु मं भज्जहि मंजहि वइरि - विंदु अप्पाइय-मायउ जाउ जाउ
हय चउ तुरंग विद्दविउ सूउ गउ कहि-भि अलंवुसु पाण लेवि
हक्कारिउ ताम पियामहेण तवणीय-ताल-तरु-केयणेण
नणंद-संत-णंदणेहि णं पट्टु णित्र जुहिट्टिलहो
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घत्ता
किय णर-णंदणेण
सय-खंड वायरणु व वुहेहि सरीरु भिण्णु पडिवारउ विरइउ परम - थाणु तिमि अहि-मयरत्थे किउ णिरत्थु
रिट्ठणे मिचरिउ
किव-दोणायण-दोन जिय । पाराउट्ठा सव किय ॥
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लुलु कहिँ आरिससिंग जाहि आयो आसण्णीहूड कालु तं णिसुणेत्रि वलिउ णिसायरिंदु अहिवण्णु णिवारइ ताउ ताउ
घउ पाडिउ विरहु णिरत्थु हूउ कुरु- सेण्णु-त्रि रणउहे पुट्टि देवि सेयासे से - महा-रहेण दुग्वार-महा-रिङ-भेयणेण
घत्ता
सरेहिं परोपरु छाइउ | अज्जुणु ताम पराइउ ।।
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