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ग्टुिणेमिचरिउ
एत्थु-वि कुरुव-लोउ तिहिं भारहिं सच्चइ-भीम-दुमय-दायाएहिं स-सर-सरासण करि-परिहच्छेहि णं मयरहरु भिष्णु तिहिं मच्छेहिं ४ तहि अवसरे तव-तणय-विमुक्कर घाइउ गलगज्जंतु घुडुक्कर णं भुक्खालु कालु जग-भोयणु चंदाइच समप्पह-लोयणु रस-वस-सोणिय-मास समीहउ विज्जुल-लोल-ललाविय-जीहउ धूमकेउ-धूमप्पह-पुग्गलु दीहर-परिह-व लंव.भुयग्गलु
धत्ता चालिउ सिरेण णहु चलणेहि वसुंधर चालिय । कउरव कवलु जिह भुक्खिएण जमेण णिहालिय ॥ ९
[१३] दिटु हिडिव-पुत्तु कुरु-लोएं मंदरु पत्तु गाई खीरोएं णं खगवइ उरगिंद-समूहे णं पंचाणणु कुंजर-जूहें णं अ-हिमयरु महा-तिमिरोहे णं खय-पवणु मेह-संदोहे णं दावाणलु जर-तरु-तवें णं वज्जाउहु गिरि-णिउरुवें विसम-सीलु मज्जाय-विमुक्कउ पर-बलु गलणह लग्गु घुडुक्कर मासइ वण्ण-विचित्तई चक्खइ णव दस वीस तीस भड भक्स्वइ एक्क-वि कवलु ण पुज्जइ घोडउ कल्लेवउ व गइंदु-वि थोडउ दूरवरेण जि कुरुवइ-केरउ वलु णासणह' लग्गु विवरेरउ
धत्ता जले थले दिसहिं णहे असिवरे फरे उरे दुक्कउ । - रह-धुरे तुरए धए कायर पेक्खंति घुडुक्कउ |॥ ९
[१४] तं तेहउ णिएवि आओहणुः भिडइ ण भिडइ ताम दुज्जोहणु तहिं अवसरे रहसूसलियंगें . उप्परि चोइय घडउ कलिंगे
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