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________________ ११८ रिट्ठणेमिचरिउ ‘भिडिय चयारि-वि पंडव-साहणे रह-गय-जोह-तुरंगम-वाहणे जे णर-णाराएहिं भग्गा क्लेवि असेस ते-वि पडिलग्गा तहिं अवसरे इरवंतु पराइउ जो परेण फणिणिहे उप्पाइड पवर तुरंगमेहिं मण-णमणेहि गमणोहामिय-खगवइ-पवणेहि जावण-आजाणेय-महीजेहि तित्तिरि-णइ-जवणज-कंवोजेहिं आएहिं तुरएहिं भिडिउ कुमारह सउणि सहोयराह गंधारह घत्ता सुवलहो णंदणेहिं वेढिउ इरवंतु पयंडेहिं । अमरिस-कुइय-मणु पंचाणणु जिह वेयंडेहिं ॥ ४ गय-गवक्ख पिसुणुज्जण-णामेहिं सुय-सारी-समेहि छहिँ कामेहिं वेढि उ एक्कु धणंजय-णंदणु जाउ महंतु सुहड-कडवंदणु अग्गए पच्छर उवहो-पासेहिं पिहिउ विविह णाराय-सहासेहि तणु तणु-ताणु सरासणु ताडिउ छिण्णु छत्त धउ चामरु पाडिउ णिहय वाह जुत्तारु वियारिउ अज्जुण-गंदणु रणे अ-णिवारिउ घाइउ फर-पिहिओरु स-असिवरु सउणि-सहोयरु णिउ जम-पुरवरु पणय-सीसु तिण-दंतु णमंसेवि णवर एक्कु गउ पिसुणु पणासेवि तो कुरु-णाहे वइरि-गयंकुसु पेसिउ आरिससिगि अलंसु घत्ता रक्खसु रक्खस-घउ रक्खस-परिवार धणुद्धरु । इरवंतहो भिडिडे मघवंतहो जिह दसकंधरु ॥ [१०] पवर-तुरंगेहि समरुद्धरिसेहि वीसहि सहि महत्तम-वरिसेहि जहिं इरवंतु महारहे चडियउ आरिससिंगि तेत्थु ओवडियउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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