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________________ ११६ रिट्ठणेमिचरिउ विण्णि-वि वसह-खंध करि कर-भुय विण्णि-वि रण-रस-रहस-वसंगय विण्णि-वि कंचण-सीह-तलद्धय विष्णि-वि वावरंति दप्पुद्धय - ४ विहि-मि परोप्पर पिहिउ पिसक्केहिं विण्णि-वि पोमाइय सक्कक्केहि कह-व कह-व संतण-दायाएं भीमहो सारहिं हउ णाराएं णट्ठ तुरंगम रहवर लेप्पिणु सूयत्तणु सयमेव करेप्पिणु विद्ध सुयासु सीसु तहो पाडिउ णं ताल-तरु-महा-फल साडिउ ८ धत्ता कुरुवइ सिरिण हउ पेक्खंतहो णरवर-चक्कहो । लइ तं एउ फल विस-जलण-जूय-किंपक्कहो ॥ ४ हए कुमारे दुज्जोहण-भायरे हाहा-सर्दु जाउ कुरु-सायरे ताम पधाइय सत्त सहोयर थाहि थाहि कहिं जाहि विओयर भीमसेणु आरोडिउ सव्वेहि' णं वण-करि सवरेहि स-गव्वेहि पढमु विसालचक्खु विणिवाइउ पुणु पंडिउ पुणु हउ अवरइउ एक्केकेण सरेण वियारिय तिण्णि-वि जम.पट्टणे पइसारिय इयर कुमार चयारि-वि रोसिय वाण महोयरेण णव पेसिय सत्तरि वहवासिएण पउंजिय णउ-वि णउ-वि अवरेहिं विसज्जिय तहिं अवसरे परिकुविउ विओयरु तिहिं वाणेहिं विद्दविउ महोयरु घत्ता कुंडधारु दसहिं आइच्चकेउ वहवासिय ।। विण्णि-वि समर-मुहे एक्केक्क-सरेण विणासिय ।। ‘णिएवि अवत्थ सुहड-संघायहो गउ दुजोहणु परम-विसांयहो मई पावेण सयण माराविय . गुरु-गंगेय-विउर लज्जाविय ... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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