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________________ १०८ रिट्ठणेमिचरिउ हदिक्कु विरुद्धे पंडवेण परिपिहिउ सिलीमुह-मंडवेण रहु खंडिउ पाडिय वर तुरय हय कवय सरासण सुय-धय ४ उप्पएवि परिटिउ विसम-रहे पहे लग्गु पलायण पउण-पहे भीमेण-वि जगडिउ कुरुव-वलु णं सीहे गयउलु मय-विहलु विंदाणुविंद मच्छर-भरिय इरमंत-कुमारहो उत्थरिय किय तेण-वि हय रह हय तुरय धण वण-वियणाउर कहि-म गय ८ धत्ता तहिं तेहए काले कुरुव-वरूहिणि-खय-करणे । जिहि रावण-राम भिडिय भइमि-भयवत्त रणे ।। मण-गमणोवाहिय-संदणेण कुरु-किंकर भीमहो गंदणेण परिपिहिउ पिसक्केहि वहु-विहेहिं पउणायय-पण्णय-सत्तिहेहि ते सव्व करेप्पिणु णिप्पसर भयवत्ते चउदह मुक्क सर सत्तरिहिं णिवारिउ णिसियरेण पुणु कुरव-णराहिव-किंकरेण ४ सो भइमसेणि हेलए जे जिउ वि-तुरंगु वि-सारहि वि-रहु किउ. पट्टविय सत्ति रयणीयरेण णं सरिय समुद्दहो महिहरेण स-वि एंति विहाविय तेण णहे. वड्ढतए तेहए समर-वहे णं काल-कयंत समावडिय . मद्दी-सुय मद्देसहो भिडिय धत्ता सारहि स-तुरंगु पाडेवि णउलु णिरत्थु किउ । जिह उड्डेवि सेणु रहे सहएवहो तणए थिउ ॥ ९ [८] स. वें सल्लिउ सल्लु. रणे णं दुमु दुव्वाएं भग्गु वणे . आसारेवि सारहि कहि-मि गउ मज्झण्णहो दिणमणि दुक्कु तउ .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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