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रिट्ठणेमि चरिउ अवरेण सरासणु ताडियउ अवरेक्के चिंधउ पाडियउ मच्छेण-वि दाविउ अवरु घणु । णव-जलहरेण णं इंदहणु तिहिं गुरु-गुरु चउ-सरेहिं हरि घउ एक्के पंचहिं पवर-धुरि अवरेकके चाव-लट्टि पहय वे-खंडई होएवि धरणि गय धणु अबरु लेवि दोणायरिउ णं पलय महा-धणु उत्थरिउ अट्टहिं सरेहि चउ तुरय हय अवरेहिं विहिं पाडिय सूय-धय ८
धत्ता पायत्थु विराडु संदणे संखहो तणए थिउ । कुरुवेहिं महियले देवेहिं कलयलु गयणे किउ ॥ ९
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तो संख-विराडेहि कुद्धरहिं सामरिसेहिं जय-सिरि-लुद्धरहिं एक्कहिं रहे विहि-मि परिट्टिएहिं गुरु घाइउ सरेहिं अणिट्ठिएहिं दोणायरिएण-वि संखु हउ उरु भिदेवि वसुमइ वाणु गउ वण-विणयणाउर सर-जज्जरिय णं हरिहिं विणि करि ओसरिय ४ तहिं काले वइरि-विणिवायणहो धाइउ सिहंडि दोणायणहो गुरु-सुउ तिहिं सरेहिं णिडाले हउ पगलिउ ति-गंडु णं मत्त-गउ णं मेरु ति-सिंगेहिं मंडियउ तेण-वि तहो रहवरु खंडियउ स-तुरंगमु चिंधउ पाडियउ हउ सारहि घणुहरु ताडियउ
पत्ता
असिवर-फर-हत्थु दुमयहो गंदणु उप्पइउ । तडि-चंदहं मज्झे णाई लहु-घणु उत्थरिउ ॥
गुरु-तणएं अमरिस-कुद्धएण सर-जाले छाइउ दुमष-सुउ
केसरि-लंगूल-महा-धरण असि-घाएं छिंदइ पवर-मुउ
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