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________________ १०२ रिट्ठणेमिचरित ४ भीमें कुरुव-राउ हक्कारिउ घायरट्ट कहिं जाहि अ-मारिउ लग्गउ हउँ अप्पणए पराहवे पूरमि अज्जु पइज्ज महाहवे विस-जउहर-केसग्गह-जूयई तुम्हह दुष्परिणामीहूयई दुण्णय-दुमहो फलई अणुहुंजहो बंधु-कवंध-सयई परिपुंजहो एम भणेवि जमकरण-समाणेहिं आहय हय चउ-संखा-वाणेहिं विहिं सारहि समर गणे घइउ छहिं णाराएहि धउ दोहाइउ पाडिउ फणि चामीयर-घडियउ णाणाविह-मणि-रयणेहिं जडिउ विहिं सग्णाहु णाहु वीसद्धेहिं आमिस-वस-रस-रुहिर-पइहे हिं ८ घत्ता 0. कुरुव-राउ मुच्छावियउ कह-कह-वि ण मारिउ । किवेण चडावेवि णियय-रहे केथु-वि ओसारिउ ।। [११] दुवई ताव जयद्दहेण रहु वाहिउ जहिं णिवसइ विओयरो । कीयय-वगहिडिव-किम्मीर- जडासुर-काल-गोयरो ॥ १ जाउ महाहउ हेइ-समिद्बहु कंचण-केसरि-सूयर-चिंघहुं तहि अवसरे पसरिय-अहिमण्णहो अट्ठ कुमार भिडिय अहिमण्णहो पंचहि पंचहि सरेहि पडिच्छिय तेहि-मि मग्गण मुक्क जहिच्छिय तो णर-सुएण णियंतहो सेण्णहो चउद्दह इसु पट्ठविय विगण्णहो ४ हय हयवर सारहि विणिवाइड छिण्णु सरासणु धउ दोहाइउ अवरेहि वर-सरेहि घुम्माविउ कह व कह-व जम-णयरु ण पाविउ सत्त कुमार ताम तहो धाइय . णं दुव्वार वार संपाइय दोमइ-णंदणेण सुयधम्म दुम्मुहु वरिउ अमाणुस-गम्में ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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