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________________ तेतालीसमो संधि १०१ ताम जुहिट्ठिलेण भय वज्जिय वारह णिय सामत विसब्जिय कइकय पंच पंच दोमइ-सुय धज्जुण-सउभद्द महाभुय घत्ता वूहु रएप्पिणु दुव्विसहु केत्तहे-वि ण माइय सायर भिंदेवि मच्छु जिह वारह वि पधाइय ।। ९ दुवई वारह ते चउद्दहुद्धाइय सूइ-मुहेण वूहेणं ।। घरेवि ण सक्किय ते समत्थेण-वि कउरव-क्ल-समुहेणं ॥ १ ताव विसोएं पाविउ रहवर लउडि-हत्थु तहिं चडिउ विओयरु णं संहार-कालु कुरु-लोयहोणं दिणयर-कर-णियरु सरोयहो घाइउ जण्णसेणि सोणासहोणिरुवम-धणु-विण्णाण-णिवासहो भिडिय परोप्पर विप्फुरियाणण आमिस-लुद्ध णाई पचाणण ४ किवि-कंतेण ताम तिहिं ताडिउ घट्ठज्जुणहो सरासणु पाडिउ पच्छए पच्छाइउ सर-जाले विझु णाई णव-पाउस-काले दुमय-सुरण अवरु धणु सज्जेवि सरहस सर विमुक्क गलगजेवि मग्गण-गणु अ-गणेवि स-तोणे गमि-वाणास्णु पाडिउ दोणे ८ धत्ता ९ चउहिं सरेहिं तुरंगम सारहि अवरेक्के । थिउ अहिमण्णुहे तणए रहे णं ससि सहु अक्के ॥ [१०] दुवई सोण-तुरंगभेण दोणायरि एण सरेहिं सीरियं । णिएवि वलं चलं णिएऊण हिडिव-सुवेण धीरियं ॥ १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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