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________________ ९८ रिट्ठणेमिचरिउ ८ अहिणव-सोणिय-पाणिय-जजले(?) जंवुअ-लूहि-सिवासिव-संकुले सरवर-णियर-भरिय-भुवणोयरे अगणिय-एक्कमेक्क-एक्कोयरे ॥ घत्ता ताम्ब स-पहरणु पवर-रहु हय-तूरु स-कलयलु । लग्गु विओयरु कुरु-बवले णं विझे दावाणलु ॥ दुवई भिंदेवि वूह-वारु पइसरइ विओयरु जाम चप्पेण । ताम विरुद्धएण हक्कारिउ आसत्थाम-वप्पेणं ॥ वलु वलु पंडु-पुत्त हउ एत्तहे ___ काले चोइउ पइसहि केत्तहे एवं भणेवि णवहिं णाराएहिं ताडिउ वज्ज-दंडु सच्छाएहिं तेण-वि सारहि दोणहो केरउ णिहउ तुरंग-चउद्धय-पेरउ किव-गंगेय ताम्ब थिय अंतरे भीमहो मिलिउ पत्थु तहिं अंतरे विहि-मि तेहिं ते वे-वि परज्जिय गय हेट्ठामुह माण-विवज्जिय भिडिउ धणजउ णरवर-विंदहु वलिउ विओयरु मत्त-ग इंदडे ताम कुमार पधाइय अहिमुह दूसासण-दुम्मुह-मरिसण-दुह घत्ता विजय-विगण्ण-विविस्सइहिं पेसिय सर-जालेहि । वेढिउ आएहिं अवरेहि-मि . जिह सीहु सियालेहि ॥ ४ ८ दुवई रवि व महा धणेहिं केसरि-व करिहिं दणुहिं व पुरंदहो । वेढिउ कुरु-कुमारु वीरेहिं रणंगणे तिह विओयरो ॥ १ वंघहो धरहो लेहो लहु धावहो । वलि बोक्कउउ जेम्ब सुधावहो (१) एक्कु भीभु रिउ-लक्खइं. जोएवि.. पभणइ करि कारे-वल ढोएवि .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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