SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेतालीसमो संघि [२] ताम मुयंग भेरि दडि झल्लरि कवुय पडह वज्जिया । रण-णव-पाउसागमे कुरुव.णराहिव-मेह गजिया ॥ णिग्गय अगणिय-गरुयाओहण दुम्मुह-दोण-दोणि-दुज्जोहण णिक्किन-किव कियवम्म धणुद्धर सल्ल-महल्ल-बल्ल-जालंधर चित्तसेण-विससेण रणुज्जय दुम्मरिसण-दूसासण दुज्जय कण्ण-विगण्ण-सुसेण-जयद्दह सोमयत्त-पुरुयत्त महारह वल्हिय-कारिससिरि-महावल भूरीसव-कलिंग-सउवल (2) उब्भिय गंधवहुद्धय-धयवड महि मल्हंति पचोइय गय-धड उहय करेवि य वियरिय हयवर वाहिय रह जिह जंगम गिरिवर घता · कुरुव-राउ कुरुखेत्त गउ सहु णिय-सामंतेहिं । . , अवलोइउ भीमज्जुणेहिं णं काल-कियंतेहिं ॥ [३] दुवई रहवर-रहवराई णर-णरवइ तुरयाओह-वरेणई । वूहइ णेवि देवि रण-तूरइ भिडियई वे-वि सेण्णइ ॥ भिडियई विण्णि-वि समर-महाहवे रणवहु-गाढालिंगण-आहवे हड्ड-रुंड-विच्छड्ड-णिरंतरे रुहिर-तरंगिणि-कद्दम-दुत्तरे गय-मय-णइ-णिरुद्ध-रहवर-गणे सोणिय-धारारुणिय-णहंगणे रह-रहंग-भर-भारिब-विसहरे करि-कण्णाणिल-चालिय महिहरे छत्त-संड-परिपिहिय-रवि-प्पह पहरण-जलण-झुक्किय-णव-गह सिव-कबंध-णच्चण-पेक्खणहरु . धीर-धुरंधरु कच्छि (?) रणभरु । १ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy