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तेतालीसमो संधि
काहल-कुल-कोलाहलई लग्गई छट्ठम-दिवस-मुहे
गय-तुरय-वरेण्णई । कुरु-पंडव-सेप्णइं ॥ ?
दुबई
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अह सोऊण सिय-वाहण- चरियं कय-कोऊहल्लयं ।
तह सव्वायरेण णमिऊण जिणं मयणेक्क-मल्लयं ॥ पुच्छिउ सेणिएण परमेसरु जो तव-णाण-झाण-जोएसरु छट्टए दिवसे अक्खु जे होसइ गउतमु इंदभूइ-रिसि घोसइ रहवर-णरवर-गय-तुरयायरु धज्जुणेण वूहु किउ मायरु तहो सिरे अरिवर-पवर-पुरंजय स-वल परिट्टिय दुमय-धणंजय घट्ठज्जुण-मच्छाहिब पुट्ठिहे मदि-पुत्त थिय विण्णि-वि दिट्ठिहे गले अहिमण्णु घुडुक्कउ सच्चइ भीमसेणु वयणत्थु पवच्चइ चेइवि-चेइयाण विहिं पक्खेहिं कइकय-दोमय-तणय पय-रक्खेहि राउ स-साहणु पच्छिम-भाएं विरइउ एम दुमय-दायाएं
धत्ता तं कुरु-खेत्तहो संमुहउं सरहसु संचल्लियउ । जुय-खय-काले समुद्दजलु वलु णावइ उत्थल्लियउ ॥
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