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बायालीसमो संधि
दोहाइय कुवर णिहय सूय सोवण्ण-रहंगई कप्पियाई केवि रहिय.रहिय णिय-किंकरहिं घडियंतरे संझागमण-काले
छत्तइ धयई दुःखंड इय कुंडल व धरहे समप्पियाई के-वि हय के-वि गय सहुँ रहवरे हिं पइसरेवि महंतए भड-वमाले ८
धत्ता
अज्जुणेण सई भुव-दंडेहिं पेक्खतहु हयई रणगेण
पंचवीस सहसइं रहहुँ । कुरुवइ-दोण-पियामह हुँ ॥
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव.कए । पंचम-दिवस-णिउज्झे बायालीसमओ इमो सग्गो ॥
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