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________________ रिटुणेमिचरिउ ८ ९ तहिं अवसरे दसहिं स.संदणेहिं हक्कारिउ सच्चइ-णंदणेहि वलु वलु कहिं गम्मइ सोमयत्ति लइ पहरु पहरु जइ अस्थि सत्ति तो एम भणेवि दंकिउ सरेहिं णं मेरु-महागिरि जलहरेहि आयामेवि जूव-महा-गएण सर-जालु छिण्णु णिविसद्धएण घत्ता दसह-मि दस चावई छिण्णई दसह-मि चिंधइ ताडियइं । पेक्खतहो पंडव-लोयहो दसह-मि सीसई पाडियई ॥ [१५] जं सिरई कुमारह' पाडियाई तल-तरुवर-फलई व साडियाई ता कणय-महाहिव केयणेण अगणिय-मग्गण-वण-वेयणेण जायवेण जणदण-भायरेण भूरीसउ विगु अणायरेण . घउ घणुहरु छिण्णउ आयवत्त स.तुरंगमु सारहि धरणि पत्त सच्चइ-वि महा-सर-जज्जरंगु णीसंदणु णिद्धणु णित्तुरंगु असि-चम्माउहु धाइउ पसत्थु भूरीसवो वि फर-खग्ग-हत्थु दप्पुब्भड सुहड भिडंति जाम दुज्जोहण-भीमेहिं धरिय ताम णिय-रहेहिं चडाविय पहर-विहुर वण-रुहिरुग्गारारुणिय-चिहुर धत्ता एत्तहे-वि पियामह-वाणेहि पंडव-साहणु जज्जरिउ । जहिं विण्णि-वि णरणारायण तहिं वियणाउरु पइसरिउ ॥ ४ ९ कुरु-कलयले विरसिए समर तूरे गंडीव-सरासण-पहरणेण विमलुज्जल-मुह-मयलंछणेण गय-तुरयाणीयई परिहरंतु अत्थइरि-सिहरे ढुक्कंते सूरे + + रहु वाहिउ वारण-लंछणेण रह-साहणे णिवडिउ जिह कयंतु ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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