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बायालीसमो संधि
ते तिष्णि-वि ताडिय जेत्तिरहिं पडिरुद्ध तिहि-मि सो तेत्तिरहिं तणु-ताणु करेप्पिणु पढम-रेणु कह-कह-वि ण मारिउ चित्तसेणु आढत्तु खयत्ते तेहिं बालु परिभमइ तो-वि णं पलय-कालु णं वण-दवग्गि रुक्खइं डहंतु लक्खणेण पडिच्छिउ वावरंतु ८
धत्ता दुज्जोहण-अज्जुण-पुत्रहुं ___ जाउ महाहउ दुव्विसहु । भीयई कुरु-पंडव-सेण्णई णहे तोसविउ सुर-णवहु ॥ ९
[१३] णर-सुरण भुयंग-भयंकरेहिं कुरुणंदणु ताडिउ छहिं सरेहिं हय हय चउहि-मि अवरेण सूउ अवरेण कुमारु णिरत्थु हुउ सहस-त्ति सत्ति पट्टविय तेण स तिहाइय फग्गुण-णंदणेण तहिं कालेकिवेण दियत्तणेण ओसारिउ कहि-मि हियत्तणेण एत्तहे-वि तरंगिणि-सिणि-सुयाई अभिटु जुज्झु पहरण-भुयाडं विण्णि-वि दिवत्थई वावरंति णं पलय-पओहर उत्थरंति सच्चइहे ण लब्भइ अंतरालु धणु भमइ ण दीसइ वाण जाल |उ दिहि-मुट्टि-संघाणु थाणु थिउ सरि-सुउ णवरि अ-जुज्झमाणु ८
घत्ता
तहिं अवसरे कुरुव-गरिदेण पेसिय दस सहास रहहुं । किउ छाया-भंगु असेसहु सच्चइ-सूरे रिउ-गहहु ॥
[१४] जं भाग महा-रह जायवेण हक्कारित तो भूरीसत्रेण आवडिय परोप्पर जिह गईद जिह आमिस-लुद्ध महा-मइंद सिणि सूर आणिय-मगणेहि विदु णं मलय-महागिरि अहि-समिद्ध झड सहे वे ग सक्किउ भिच्च-वग्गु विहडप्फडु णटु समग्गु लग्गु
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