SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वायालीसमो संधि एत्तहे-वि विहि-मि किंव-चेइवाह एत्तहे-वि पधाइय अमरिसेण एत्तहे-वि अलंदुस-भीमसेणि आए-वि अवर-वि अभिट्ट एम एत्तहे-वि तव-सुय-मद्दाहिवाह पंचालि-सहोयर-चित्तसेण जो सूरपुरारोहण-णिसेणि मुक्कंकुस मत्त गइंद जेम ८ धत्ता रण-बहु-परिणयण-णिमित्तण णं सिद्धि-समागम-मोहेण जायइं जुज्झई भीसण । लग्गाई सव्वई सासणई ॥ ९ तहिं काले वलु रु जुज्झ-कामु चउदसेहिं सहासेहिं सउणि माभु पंडव-सेणामुहे भिडिउ गंपि जं आइउ घाइउ तेण तं पि लल्लक्क-महाहउ जाउ जाम मज्झण्णहो दिणमणि दुक्कु ताम स-तुरंगम एहविय महा-गईद वीसमिय खणंतरु णर-वरिंद ४ पारध्दु पडीवउ संपहारु रउ उट्ठिउ जाव तमंधयारु अहिमण्णु-घुडुक्कय-चेइयाण सइणेएं सहुं धल्लंति वाण गय-साहण भिडिय महा-रउद्द णं मच्छवयारि-वि वर-समुद्द सरि-सुयहो सिहंडि-विराड वे-वि अवरह-मि अवर पडिलग्ग के-वि ८ पत्ता थिउ अग्गए मच्छु सिहंडिहिं धाइउ भीमु पियामहहो । तिहिं सरेहिं विद्ध गंगेएण कह वि ण पडिउ महारहहो ॥ ९ [१०] वण-वियंण-विरोहिउ भीमसेणु णं पडिगया-गंधे वर-करेणु परिपेसिय सुरसरि-सुयहो सत्ति णं जगहो पधाइय काल-रत्ति तिल-तिल्ल-धोय-कलधोय-दंड ... सु तरंगिणि-तणएं किय-दुखंड अवरेण सरेण सुवण्ण-पट्ठि दोहाइय पंडव चाव-लट्ठि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy