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________________ ५० रिट्ठणेमिचरिउ घत्ता भीम-हिडिवहं तणए रणे णिसुणेवि गरुय-भुयग्गल-घायए । पिहिए वहु-अंसु-वाहियए चेउ णाई कियंतहा मायएं ॥ ९ [१३] परिपुच्छिय जायव-णंदणिय कहो केरी का तुहं कहो तणिय तहे ताए वि पयए णिवाउ किउ णिय-वइयरु गिरवसेसु कहिउ उप्पत्ति जेम जिह आगमणु जिह भीम-हिडिवहं जाउ रणु तहिं अवसरे चेइउ भायरेहिं णं गज्जिउ चउहु-मि सायरेहिं ४ . गय तेत्तहे जेत्तहे कुविय-मण रयणियर-विओयर वे-वि जण अज्जुणु वज्जरइ महंताहो तउ तिणि पहर पहरंताहो परिसमिउ भीम हउ अभिडमि जीवंतहो सीसु जेण खुडमि जइ कह-व ण इच्छहि जसु परहो तो णिद्द लहेवि णिसायरहो जइ ढुक्कु कयावि संझ-समउ तो होइ तगीयरु बञ्जमर . वत्ता तो सहस-त्ति विओयरेण पुट्ठिहे पाउ देवि मुसुमारउ । पाडउ णिसायरु धरणियले कालहो जाइ मणोरहु पूरिउ ॥१०॥ [१४] तो भीमें धरिय हिडिव करे उप्पणु घुडुक्कर पेम. भरे बहु-दिवसहिं अगणिय-मरण-भय ईहापुरु पंडव णवर गय जहिं खेत्तई वगय-पामरई ओटंकिय-बारई जहिं घरइ जहिं वग्घ-सिंध-णायाउलई उप्परि णिवडंति व देउलई ण :णिज्जइ माणुस-सदु जहिं आवासु लइजइ तेहिं तहिं संझा मे भीमासुरु अइउ रण-कंखु रउद्दु रसभइउ कामे (?) भीमहो कह-वि. पडिउ तहो गत्थ(?) देवि पुट्टिहे चडिउ किउ तिकरु कह-व ण मारियउ जणु णिरवसेसु हक्कारियउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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