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________________ गुणवीस संघि रयणि विंझे पिसाय-वडे सो भत्तारु महत्तणउ अव एतडिय जि णवर महु सुणु संका-यर-णराहिवइ तहो उत्त हिडिंवु [हिडिव ]-वणे थिउ साहिहे कोडरे वीर - मइ तो सयल-लोय-दहो तं णिसुणेवि कोंतिहे गंदग जइ सी धरिज्जइ कुंजरेण धारायर र- कोडि वि जसु मरइ 1 विज्जाहरु तो विज्जाहरिए मरु जइ विं पुरंदरे अल्लियहि तो संतण- सुय सुयणंदणेण कड्डेप्पट हि करेण करु पार णिउद्ध वलुदुरेहिं णं सीया - कारणे दुद्धरेहिं पहरांत परोप्परु पवर-भुय दढ -मुट्ठि दंसणेहिं कररुह है Jain Education International धत्ता होइसि जेण समाणु समागमु । (इ) मित्तिय - केरउ आगमु ॥ ९ [ ११ ] घत्ता:: नाम घाइउ रयणियरु दिव्व-गयासणि-सिद्धि-विवज्जिउ । पदम-घणहो गज्जेताहो वीयउ णाई महाघणु गज्जिउ ॥ जुज्झेउ जं णिसियरेण सह विज्जाहरु वुच्चइ गयणगइगय साहइ ईहइ मइ-मि मणे : वोलंतई पेक्खइ कह व जइ पट्टवइ वे बि जम- पट्टणहो गलगज्जिउ जेम महाघणेण तो भीमु णिहम्मइ णिसियरेण: तहो ढुक्केवि एक्कु काई करइ [ १२ ] ४९ आरु हिडिवा-सुंदरिए मई जीवमाणे दुक्करु जियहि भडभडकडमद्दणेण वत्तीस-हृत्य गउ रयणियरु णं कंतासत्तेहि सिंधुरेहिं दसरहणंदण- दसकंधरेहिं लंकाहिव-णंदण-पंडु-सुय णं सीह दीह - हराउहेहिं For Private & Personal Use Only ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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