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________________ एगुणवीसमो संधि २५ घत्ता णवमी कामावत्थ गय सहियहं अग्गए एम घोसइ । जइ करे लायहो पंथियहो तो महु मुझ्यहे जीविउ होसइ ॥९ [३] तं णिसुणेवि वयणु मणोहरीहे जाणाविउ जणणहो सहयरीहिं परमेसर तुम्हहं तणिय सुय विवरेरी काम-गहेण हुय पहे को वि णिहालिउ कप्पडिउ णं हियए अणंग-वाणु पडिउ विहलंघल एक्कु विं पउ ण गय सारंगि व वाह-सरेण हय सा एम देव विण्णवइ पइं जइ पहियहो कह-वि ण देहि मई तो एवहिं हले सहि सिहि सरणु विस-भक्खणु अहवइ जल-मरणु तो कण्णे दिण्ण कण्ण वरहो भीमज्जुण-जमल-सहोयरहो दस रत्ति वसेप्पिणु तहिं अजय पुणु तावस-वणु विहरंत गय घत्ता दिठु तवोवणु पंडवेहिं चंपय-तिलय-वउल-संछण्णउं । सम्वहो सइवहो सासणहो पहिलउ तं जे णाई उप्पण्णउं ॥ ९ [४] आसणु वसुंधर-पुरवरहो वीसाम-भुवणु णं सुरवरहो तं दिट्ठ तवोवणु तावसह अब्भासिय-जोग-पसरिय-जसहं कुस-अंकुस-अक्ख-सुत्त-करहं चलणेक्कंगुट्ठ-चित्त-धरहं दिणयर-कर-पवणाहारियह संजमिय-जूड-जड-धारियह तं चूडालंकिय-विग्गहहं पाइण-कोवीण-परिग्गहहं वर-भिसिय-कमंडल-मंडियह चउवेय-भेय-परिचडियह भुई-भुरुकुंडिय-विग्गहहं सहियग्गि-वाय-सीयायवह गुलियंजण-सिद्धि-परायणहं कंकाल-करोडी-भायणहं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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