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रिट्ठणेमिचरिऊ
घत्ता गउ ताम दिवायरु अत्थवणु रयणि पढुक्किय भीसणिय । ललललइ लोल लालाउलिय णावइ जीह जमहो तणिय ॥ ९
[१३] रयणिहे पढम-पहरे पडिवण्णए पट्टणे जणवए णिद-णिवण्णए धीवरि पंच-पुत्त घरु आइय भीमें मइरासत्तिहे लाइय किं पि ण जाणइ मज्जाइण्णी सहुं पुत्तेहिं जउहरि जि णिसण्णी अण्णेत्तहे सुहु सुत्तु पुरोहिउ वारि जि भीम-कयंतें रोहिउ ४ णियलु कवाडहो तणउ धरिजइ हुयवह-चुरुलिं सहत्थें दिज्जइ सणे-सज्ज-रसे वसा-धिए लग्गइ तिल्ल-तिणेवण-णिवहे वलग्गइ एत्तहे एत्तहे तक्खणे पावइ भुक्खिउ जमु जेवंतउ णावइ भणइ विओयरु विसहर-लोयणु डझहि महु वारियए पुरोयणु ८
घत्ता किं लोयाहाणउ चप्फलउ जो चिंतइ पाउ पाउ परहो अणुलग्गउ अण-हक्कारियउ तहो अप्पणु जे एइ घरहो ॥ ९
[१४] दीहर-गहिर-विसालुत्तुंगए कोति स-णंदण णट्ट सुरंगए डहइ विओयरु सिहि पज्जालेवि घरहो असेसई वारइं टालिवि णउ णिग्गमु पइसारु वि कासु वि इच्छइ वरणहं लग्गु हुयासु वि चउदिसु जालावलिहिं झुलुक्कइ पर कोतियहे पासु णउ ढुक्कइ ४ हाहाकारु जाउ तो पट्टणे हा हा पंडव दड्ढ हुवासणे हा हा कम्मु काई किउ कुरुवइ कवण मणोरह पुण्ण पयावइ हा हा दुट्ठ भुअंगम-लोयण कहिं पावेसहि पाव पुरोयण तहिं अवसरे छुडु परिह-पवण्णइं भीमें विणु पंच-वि आदण्णई ८
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