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भट्ठारहमो संधि
धत्ता
तहिं अवसरि वर-कुद्दाल-कर घर-भेएं णं दुजोहणहो ,
पेसिउ कोतिहे देवरेण । आयउ खणउ खणंतरेण ॥
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अक्खिउ गरेण जुहिट्ठिल-रायहो विवरु ण दीसइ भवणहो आयहो तें तुह पित्तिएण हउं पेसिउ णिरवसेसु वित्तंतु गवेसिउ धरु परियचिवि परिह खणेवी पिहुल सुरंग तेथु पाडेवी वरिसभंतरे कम्मु समप्पइ रयणिहिं पहरउ देप्पिणु सुप्पइ ४ पहिली भीमहो वीयउ पत्थहो णउलहो तइयउ चउत्थु चउत्थहो वासरे पुरवर-वाहिरे गम्मइ णक्खुत्तुग्गमे पडियायम्मइ एम भणेवि लग्गु णिय-कम्महो। णाई महारिसि तव-परियम्महो ताम जाम संवच्छरु णिज्जइ पडिय सुरंग समत्ति कहिज्जइ ८
धत्ता किर देसइ बहुल-चउद्दसिहि अग्गि पुरोयणु जउ-भवणे वरि हउ जे हुवासणु देमि तहो भीमहो वइढिउ रोसु मणे ॥ ९
[१२] जाव ण अम्हई डहइ पुरोयणु ता बरि तासु जे दिण्णु हुवासणु जाव ण होइ कोंति संताविय तो वरि तासु जे जणणि रुवाविय जं होसइ तं कारणु लक्खिउ ओसारेण जणेरिहिं अश्विउ जउहरे अज्जु जलणु मई देवउ वइवस पुरहो पुरोयणु णेवउ ४ सिक्खा-अणुवय-गुणवय-धारिए जं जाणहि तं करहि भडारिए सुय-वयणहिं विहलंघलिहोंतिए तक्खणे रिसि-भोयणु किउ कोतिए पुरवरु णिरवसेसु भुंजाविउ दीणाणाहहं धउ पुंजाविउ सव्वई पुजियई जिण-भवणइं कियई तोय-धिय-पय-दहि-ण्हवणई ८
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