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________________ अट्ठारहमो संधि जो जंतु णिहालइ जिण-वयणु सो गरु परिसक्कइ जहिं जे जहिं [ ७ ] फग्गुण - मासो अट्टम - वासरे पासेहि भामरि देवि ति-वारउ जय देवाहिदेव जय - णिम्मल जय सोलह - कसाय-भड -भंजण तु वभाणु विट्टु सिउ संकरु तुहुं कल्लाणु णाणु तुहुं मंगलु तुहुं संसार-समुद्दुत्तारणु तुहुं वंदिज्जहि सुर- संधाएं अट्ठमउ चंदु रविवारु हउ सवइ-भि सु-मंगल-गाराई णंदीसरु करेवि णीसरियई जणु पलट्टिउ कह व किलेसे ह सासण देवय एम करिज्जहि थोवंतरे दक्खविय - पवंचउ ओसारएण जुहिट्टिल वुच्चइ कुरुव कुमार विसम-संसग्गिहि अ-विवर-भवणे ण पई अच्छेवर रणिहि पहरउ देंतु सहोयर घत्ता Jain Education International घत्ता सव्व-उ व-जीव - जीवावणउं । तर्हि जे तर्हि जे वद्धावणउं ॥ १० रोहिणि- रिक्खे पढम-णंदीसरे पुणु थु थोत्तेर्हि संति - भडारउ जय णिद्दोस पयासिय- केवल परम परंपर सुहुम णिरिंजण तुहु सिद्धंतु मंतु तुहुं अक्खरु तुहुं छज्जीव-णिकाय-सु- वच्छलु तुहुं जे मोक्खु तुहुं मोक्खहो कारण अहवइ केत्तिएण थुइ-वाएं [ ८ ] विट्ठि सणिच्छरु दडूढ दिन । पई चितंतहं परम जिण ॥ ३९ पंडव कोंति णवर उच्चरियई धाहाविउ भविएहिं असेसेहि रज्जु पंडु-णंदणहुं जे देज्जहिं विउरु पवच्चिर अम्मणु अंचउ रायणीइ ण कयाइ विमुच्चइ रक्खज्जहि अप्पाणु विसग्गिर्हि दिवे दिवे वण- कीलए गच्छेवउ एउ करेज्जहिं णर-परमेसर For Private & Personal Use Only ८ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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