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रिट्ठणेमिचरिउ पत्ता धण-धण्ण-सुवण्णे पूरियउ तं गंधारिहे गंदणेण । गउ णवर पुरोयणु मण-गमणु खर-संजोत्तिय-संदणेण ॥
तहि अवसरे तवणुत्तम-तेयहो पिहि पाएहिं पडिय गंगेयहो लइ सहुं पुत्तेहिं जाम भडारा दूरीहूवा चलण तुहारा । किर होसहि पंडवहं पयंडउ विहुर-तरंगिणि-तरण-तरंडउ किर अच्छहुं तउ आसीवाएं तं ण समिच्छिउ दुट्ट-बिहाएं अज्जु पंडु धुउ सग्गु वलग्गउ अज्जु जयासा-पायउ भागउ अज्जु अपुज्जु कुडुवु महारउ जोइस-मंडलु अज्जु अगारउ अज्जु होउ धयरट्ठ सइत्तउ जासु पुत्तु धण-संपय इत्तउ अज्जु मणोरह होंतु कुरु-णारिहे खल-खुद्दहे पिसुणहे गंधारिहे
घत्ता इय भणेवि स-पुत्ती कोंति गय तेण वि दिण्णासीस तहे । सिय आउ पवड्ढउ पंडवहं गह साणुग्गह होंतु पहे ॥
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किउ आउच्छिउ पडि-पल्लटिउ भणइ पत्थु सो महु अवरत्तउ पट्टणु णिरवसेसु णीसरियउ जहिं पंडव तहिं उत्तम-देसउ जहिं पंडव तहिं सयल महायणु जहिं पंडव तहिं तूर सहासइं जहिं पंडव तहिं पउरु असेसु वि धम्म-पुत्तु पुणु धम्मु जे केवलु वड्ढमाण-जिण-मंदिर जेत्तहे 4.9 b स गंधारिहे
अम्मणु-अंचउ विउरु पयट्टउ जं इह अवसरे दोणु ण पत्तउ कुरुवराय-आणए वि ण धरियउ जहिं पंडव तहिं मंगल-सेसउ
x x x चामर-छत्त-धयइं-पिहियासई वल्लहु जंतु होइ जणु वेसु वि अवसें सव्वु लोउ तहो वच्छलु कोंतिए णिय णिय णंदण तेत्तहे
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