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अट्ठारहमो संधि
घत्ता
णिरुवमई अकित्तिम-कित्तिमई जण-मण-णयणाणंदिरई । छुह-धवलई रिसि-गण-सेवियई थामे थामे जिण-मंदिरई ॥
[३] जेमाइट्ठउ तेम पगासिउ घरे घरे चच्चरे चच्चरे भासिउ ताम जाम पुरे पायडु जायउ भीम-पत्थ-जम-जेट्ठह णायउ तो हक्कारेवि कुरुवइ-जणएं संतण-तणयहो तणएं तणएं पंडव-णाहु हसेप्पिणु वुच्चइ भणमि वप्प जइ तुम्हहं रुच्चइ वरणावइ णामेण महाणइ जणवउ णिरवसेसु परियाणइ ताहे तीरे वर पुवायामें अस्थि वारणामउ पुरु णामें जाहि जुहिट्ठिल तं तुहुं भुंजहि देसु-वि जीवणाई उवजुजहि भणइ राउ तुहं अम्हहं राणउ अवरु-वि अंधकविट्ठि-समाणउ
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घत्ता
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तुहुं पियरु पियामहु परम-गुरु सामिसालु जयकार-खमु । जं किंपि भडारा देहि महु तं जे पुरंदर-णयर-समु ॥
[४] पंच वि पंडु-णराहिव-जेट्ठहो णवकारेप्पिणु तहो धयरट्ठहो मंदिर गय गंगेयहो केरउ कम्मु समारंभिउ विवरेरउ दुज्जोहणेण एउ खल-खुद्दे पलय-काल-अणुरूत्र-रउद्दे तेण पुरोहिउ वुत्तु पुरोयणु विसहर-विसमु विसोवम-लोयणु पंडव जाम एंति वीसत्था णिय-णिय-वाहण-वावड-हत्था पट्टण-गामाडइ-गिरि-देसेहि विसम-खड्ड-चिक्खिल्ल-पएसेहि ताम करेऽजहि घरु लक्खामउ । सण-सज्ज-रस-तेल्ल-घिय-थामउ वरिसभंतरे एउ करिजहि लद्धावसरु हुआसणु देज्जहि ___4 2a गंगेव 3a ज. ता दुज्जोहणेण खलखुद्दे
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