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________________ रिट्ठणेमिचरित उहु अज्जुणु उत्तमु रायहंसु जसु केरउ णिम्मलु कुरुव-वंसु सेयंसु जेत्थु गुण-रयण-रासि पारणउ जिणहो किउ जेण आसि मेहेसरु जहिं कुरु सणंकुमारु जहिं संति कुंथु अरु अमरु सारु ४ रज्जंतरेसु गमिएसु वहुसु जहिं जाउ पुरूरउ आउ णहुसु गय णरवइ जेत्थु अणेय-संख सय-सहसक्खोहणि कोडि लक्ख जहिं संतणु चित्तु विचित्तवीरु जहिं पंडु धराधर-धीर-वीरु धयरटु जेटु जहिं कुरुवराउ तहिं अज्जुणु तुहं कहे केत्थु आउ तं वयणु सुणेवि स-विलक्खु कण्णु हेट्ठा-मुहु ठिउ मसि-कसण-वण्णु घत्ता कुरुवइ कुविउ समुण्णय-घोणहो तुम्हहं कवण थत्ति किव दोणहो । साहणु पुरिसयारु मई वुत्तउ विण्णि-वि जासु सो जि कुलउत्तउ ॥ ९ [८] कंचण-कवय-कुंडला कुपुरिसाण होति । जहिं सुमणोहराई तहिं गुणा वसंति ॥ जइ कारणु तुम्ह पहुत्तणेण तो मई अहिसित्त हियत्तणेण पल्हत्थिय-कंचण-कलस-हाउ किउ चंपा-पुर-बइ अंगराउ पेक्खतहं पंचहं पंडवाह किक-विउर-दोण-सरिसंभवाहं परिवद्ध पटु मंगल-सएहिं णाणाविह-तूरेहिं आहएहिं राहेयहो चिंत महंत जाय दुज्जोहण-केरा वहु पसाय अद्धासणु जीवणु अंगएसु मित्तत्तणु साहणु णिरवसेसु वाइत्तइं छत्तई चामराई धण-धण्ण-रयण-विविहंवराई अग्गासण-दाणु सुवण्ण-भारु हउं काई देमि जं सयलु सारु 7. 5b पूररउ. 8b. कइ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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