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________________ २९ सत्तरहमो संधि दिढसंघ-जरासंधाहिवइ संजय-जय-विजय विचित्तरह दीहच्छिय-माहिसंडिक्कवइ दिढवाहु-सुवाहु-महंतभुय वहुवासिय-अणुयर-भीमजव दुपराजय-अवराजिय-पवर जलसंध-सव्वसंधेदुगइ कंडासि-विरय-ससि-सूर-पह चक्काउह णं थिय चक्कवइ वर-वीरवाहु-विहवाहु-जुय उग्गाहय घोर-कम्म दुरव ओह-वि अवर-वि णिय-णाम-धर धत्ता णंदण णंदाविय-णियरहो तुहुं दूसल-गंधारि कियत्थई रंगे पइट्ट सिट्ठु धयरट्ठहो । सिक्खिय जाहं कुमार वरत्थई ।। १० [३] केण-वि कोंति वणिया देवि तुहुँ कयत्था । जाहे कुमार कमल-करवाल-कोंत-हत्था ॥ ओसारिय सयल परिट्ठविय दुज्जोहण-भीम समुट्ठविय विप्फुरिय फणा-मणि-मउङ-सिर गिव्वाण-भेरि-रव-गहिर-गिर मणि-कुंडल-मंडिय गंडयल जय-लच्छि-समच्छिय-वच्छयल सुर-वर-करि करणुक्करिस-कर जमसासण-भीसण-भिउङि-धर केसरि-णियंव-पडिविव-कडि सुर-णियर-पसंसिय-चारहङि कुसुमोरु-सक्क-कुलिसोरु-जुय धयरट्ठ-णराहिव-पंडुसुय गंधारि-कोति-वल्लह-तणय सुर-वहु-कडक्ख-विक्खेव-हय वगंति धंति मेल्लंति गय णं जाय णिरंकुस मत्त-गय ४ घत्ता णाग-णरामर-जण-मण-मोहण रज्ज-कज्ज-संदेह-वलग्गउ सरहस भिडिय भीम-दुजोहण । णं भारहु जेम समप्पइ लग्गउ ॥ १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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