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सत्तरहमो संधि दिढसंघ-जरासंधाहिवइ संजय-जय-विजय विचित्तरह दीहच्छिय-माहिसंडिक्कवइ दिढवाहु-सुवाहु-महंतभुय वहुवासिय-अणुयर-भीमजव दुपराजय-अवराजिय-पवर
जलसंध-सव्वसंधेदुगइ कंडासि-विरय-ससि-सूर-पह चक्काउह णं थिय चक्कवइ वर-वीरवाहु-विहवाहु-जुय उग्गाहय घोर-कम्म दुरव ओह-वि अवर-वि णिय-णाम-धर
धत्ता
णंदण णंदाविय-णियरहो तुहुं दूसल-गंधारि कियत्थई
रंगे पइट्ट सिट्ठु धयरट्ठहो । सिक्खिय जाहं कुमार वरत्थई ।। १०
[३] केण-वि कोंति वणिया देवि तुहुँ कयत्था ।
जाहे कुमार कमल-करवाल-कोंत-हत्था ॥ ओसारिय सयल परिट्ठविय दुज्जोहण-भीम समुट्ठविय विप्फुरिय फणा-मणि-मउङ-सिर गिव्वाण-भेरि-रव-गहिर-गिर मणि-कुंडल-मंडिय गंडयल जय-लच्छि-समच्छिय-वच्छयल सुर-वर-करि करणुक्करिस-कर जमसासण-भीसण-भिउङि-धर केसरि-णियंव-पडिविव-कडि सुर-णियर-पसंसिय-चारहङि कुसुमोरु-सक्क-कुलिसोरु-जुय धयरट्ठ-णराहिव-पंडुसुय गंधारि-कोति-वल्लह-तणय सुर-वहु-कडक्ख-विक्खेव-हय वगंति धंति मेल्लंति गय णं जाय णिरंकुस मत्त-गय
४
घत्ता
णाग-णरामर-जण-मण-मोहण रज्ज-कज्ज-संदेह-वलग्गउ
सरहस भिडिय भीम-दुजोहण । णं भारहु जेम समप्पइ लग्गउ ॥ १०
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