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रिद्धणेमिचरिउ
[१०] वण-वेयण-उम्मण-दुम्मणउ थिउ कोवंडहो भायणउ । अज्जुणु दोणाणुग्गहिउ गउ पंडव-कुरुवेहिं सहिउ ॥ अण्णेकहिं दिवसे महंतु जंतु रुक्खग्गे समोड्डिउ परिभमंतु णामेण भासु कट्ठमउ पक्खि तहिं सरिहिं भरेल्वउ दाहिणक्खि पहिलउ हक्कारेवि धम्मपुत्तु किं पेक्खहि दोणे एम वुत्तु पेक्खमि धणु-गुण पई सयलु लोउ ओसारिउ तासु ण दिण्णु ढोउ तिह भीमहो तिह दुजोहणासु तिह णउलहो तिह दूसासणासु सहएवहो तिह सव्वहं जणाहं धयरट्ठ-णराहिव-णंदणाहं णरु कोक्किउ विरइउ जंतु जेत्थु परे पुच्छिउ पेक्र्खाह काई एत्थु ८
घत्ता
भणइ धणंजउ ताय सुणि धणु गुणु पई लोउ ण पेक्खमि । पक्खिहो णवर भमंतहो सर-सल्लिउ लोयणु पेक्खमि ।।
- [११] जंपइ पत्थु हत्थु रमइ जणु जोयइ वेझउ परिभमइ ।
णउ णावइ कंठेहिं हयउ भासहो सिर महियलि गयउ ॥ अण्णेक्कहिं वासरि अक्खय-तोणु गंगा-णइ गउ मजणहं दोणु गाहेण गहिउ पइसइ सरंतु x x x अहो पंडव-पहु पंडव-सणाह धरि कुरुवइ कउरव-लोय-णाह तहिं काले ण णिग्गय कहो वि वाय बसुहामया व णिम्मविय राय तो दूरायइढिय-धणु-गुणेण पण्णारह सर मुक्कज्जुणेण कप्परिउ खुरुप्पेहि ल्हसिउ गाहु णं चंदु मुएवि ओसरिउ राहु णीसरिउ सरिहे जाणिय-पमाणु गउ गयउरु गुरु सीसेहिं समाणु
10. 4b. के परेक्खहि. 10. 8. 9. विरवउ. 9 d. सारससल्लिउ.
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