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________________ रिट्टणेमिचरिउ घत्ता १० सयल समप्पिय आयरेण गंधारिए पुत्त गंगेएं । गिभि दिवायर-किरण जह पयवंतु ताय ताय(?) तव-तेएं ॥ [७] कुरुव.सएणालंकरिउ सोह देइ दोणायरिउ । भरह-णराहिव-पमुहएण रिसहु जेम सहुँ सुय-सएण ॥ कोंती-तणय वि तहो जे समप्पिय कउरव जेहिं असेस-वि चप्पिय अण्णहिं दिणि संतणएं वुच्चइ भणमि दोण जइ तुम्हहं रुच्चइ अत्थि एत्थु तयत्थहो गंदणु अंधतमउ जण-णयणाणंदणु गउतमु तासु पुत्तु तहो गेहिणि जालवइ व जालवइ सणेहिणि तहिं णरु णारि विण्णि उप्पण्णइं वहु-विण्णाण-रूव-संपण्णई किउ महंतु किवि तहो लहुयारी तुम्हहं जोग्ग मणोहर-गारी तं पडिवण्णु णाय-धणुवेएं सहसा परिणाविउ गंगेएं दोणहो जाउ पुत्तु दोणायणु आसत्थामु वइरि-विणिवायणु घत्ता भग्गव-वंसुज्जोय-करु परिवइढिय भड-अवलेवहो । जाउ महंतु मणोरहिहिं जिह वासुएउ वसुएवहो ॥ [८] पुत्त-महोच्छवे आय कुरु णंद बद्ध पभणंत गुरु । पंडु-सुयाह-मि जाय दिहि जणिय-जहारुह-सीस-विहि ॥ तो भणइ दोण रणे रउरवहो आयण्णहो कउरव-पंडवहो तुम्हेहिं सव्वेहिं णिप्पण्णएहिं घणुवेय-तेय-संपण्णएहिं जभणमि करेवउ तं वयणु णउ मग्गमि धणु कंचणु रयणु ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001427
Book TitleRitthnemichariyam Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages220
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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