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सोलहमो संघि सरु सरेण मुहे कत्तरि भिज्जइ ताम जाम कूवहो कढिज्जइ सो वित्तंतु कहिउ गंगेयहो साहसु ताय महंतउ आयहो सुर-णइ-णंदणेण परिपुच्छिउ कहे सो कहिं सिक्खिउ कहिं अच्छिउ ४ पभणइ वइदावणि कुरु-सारा सुणु कोमार-वंभ-वय-धारा भग्गवसिहि दिण-वेणी-वेयहो कोहुवि-णामें सुउ अत्तेयहो अमरावत्त पुत्तु तहो जायउ । तासु वि वामएउ विक्खायउ काविठ्ठलु गय-थामु सरासणु दावणु तासु तासु विदावणु भरदुवाउ तहो णयणाणंदणु घरिणि पियच्चि दोणु हउं नंदणु परसुरामु गुरु तहिं मई सिक्खिउ णिरवसेसु धणु-वेउ णिरिक्खिउ
घत्ता
अग्गिवेसु अवरेक्कु गुरु तहो घरे अच्छिय तग्गय-मण । कारणे अग्गेयहो सरहो हउँ जण्णसेणु विण्णि-वि जण ॥ ११
[६] गुरु-पासहो रिउ-पाण-हर लद्ध विहि-मि अग्गेय-सर ।
दुम्मय-पिहियहो णंदणेण महु पडिवण्णु हियत्तणेण ॥ जइयहु सीहासणे वइसरमि सयलु-वि णिरवज्जु [रज्जु] करमि तइयह दरिसेज्जहि अप्पणउं । जें लहहि धरद्र-समप्पणउं गउ एम भणेप्पिणु णिय-णयरु हउं तेत्थु जेत्थु गुरु परसु-धरु णिक्खत्तिय-महियलु सयल-गुणु तहो चलण णवेवि पल्लट्ट पुणु मायंदी पुक्खरु तुरिउ गउ सुमराविउ पुव्व-दाणु दुमउ . महि-अद्ध ण लद्ध कुद्ध महु-मि लइ कहिउ पियामह तुम्हह-मि तं वयणु सुणेवि णइ-णंदणेण कंदप्प-दप्प-रिउ-मदणेण परिपुजिउ गुरु कुरु-सीसु हुउ सुर-मंति जेम सुरवरहिं थुउ ___5. 4b. सोउ कहि. After 5b. ज. णाम समेसहो दिणमणितेयहो.
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