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सोलहमो संधि तो वि कुमार-सार धयरट्ठहो पहु रंभिंति धणंजय-जेट्टहो घरिवि ण तीरइ वल-संपण्णउ सप्पह गरुड्डु णाई उप्पण्णउ पुणु सयल वि रमंत सिसु-लीलहिं इंदु-चउक्केहि कंदुय-कीलहिं तंतुअ-ससि-णिकोणौ-हेलिहिं पाविय-लाणि-भमाडिय-चेलिहिं धूलिहिं पडेवि ओयरु थक्कइ भाइ सउ-वि कड्ढणह ण सक्कइ कुरु पडंति वलु भीमहो वडूढइ वलि जिह महणे सुरासुर कड्ढइ दुमे चडियहो कु-वि कुरउ ण पाडइ ते चडंति सो सयल वि पाडइ जल-णिवुड्डु पेल्लिउ वि ण पेल्लइ ते णिवुड्ड पुणु पुण्णेहिं मेल्लइ एक्कहो भीमहो विक्कम-सारहो वेवइ रोवइ सउ वि कुमारहो
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घत्ता
तो गंधारिए कलहियउं किं तुमु जे पुत्तु पियारउ । जेण कुंति णउ सिक्खवइ केत्तिउ अक्खमि सय-वारउ ॥ ११
[३] कलहेवि कउरव-जणणि थिय कोतिहे तहे अवहेरि किय । मंतिउ रिउ-मइ-मोहणेण सउणे सहुं दुजोहणेण ॥ अण्णेक्कहिं दिवसे सु-मंडविय सुर-सरिहे अद्ध-जल-मंडविय तहिं पवण-पुत्तु सोवावियर वंधेवि सुर-णइहि घिवावियउ हेलए जे पसारिवि भुय-जुयलु संपाइउ पावणि अतुल-वलु पुणु कालकूडु विसु दिण्णु तहो अमिउ व परिणमिउं विओयरहो। पुणु पवर-भुवंगिहिं खावियउ विस-वेउ तहि-भि ण चावियउँ हउ सारहि वड्वस-णयरु णिउ पुणु मारुइ किवहो समल्लविउ सहए-णउल-णर-णरवइ-वि भायर-सएण सहुं कुरुवइ-वि दुज्जोहण-भीम गुण-त्तिगय आलाण-खंभे णं मत्त-गय
3. b. भा. पहावियउ.
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