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सोलहमो संधि
पंडु-णराहिवे सग्गे गए संतणे गरिंदे पव्वइयए । झिज्जइ कुरुव-णराहिवइ रत्तिदिउ भीमहो भइयए ॥१
[१] पियर-सरीर-पुज्ज करेवि हथिणाय-पुरे पइसरेवि ।
अवरोप्पर संपीइ किय एक्कीभावें रज्जे थिय । कुरव-कुमार सव्व गंगेएं णियमिय सूर-सम प्पह-तेएं लच्छि जुहिट्ठिल-करयले लाइय गय जायव णिय-णयरु पराइय अण्णहिं दिवसे पवड्ढिय-गउरव पढणह लाइय पंडव-कउरव लिवि-विण्णाणु लयउ भरहेसे राय-विज्ज परिणमिय विसेसे जोइसु जमल-कणि8 सिक्खिउ भीमें वर-वायरणु णिरिक्खिउ अप्पणु धाउ-पाढु उप्पाइउ चट्ट-भट्ट-वडु-वालहं लाइड कुरु-णर-णउल्हं मइ ण विसदृइ एक्कु-वि सिद्धक्खरु ण पयट्टइ जो जि विरोहु हूउ पहिलारउ अण्णु वि महि-कारणे गरुयारउ
घत्ता
भीम भडत्तणु उव्वहइ अवसें पंडव-कउरवहं
दुज्जोहणु रण-भरु कड्ढइ । भड-मच्छरु मणे परिवडूढइ ॥
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[२]
सयल वि कलह-करंडएण इखु-तरंगिणि-तणए तडे
खेल्लियंसु-झलिअंडएण । पाङिय भीमें भूयवडे ॥
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