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पंचदहमो संधि
भूरीसउ सिणि-सुएण सु-धीमें भाइ-सउ वि मारेवउ भीमें घट्टज्जुणेण दोणु घाएवउ वइवसपुर-पहेण लाएवउ कालजमणु सारणेण वहेवउ मगहाहिउ माहवेण हणेवउ तं णिसुणेवि ताई पव्वइयइं पंच महा-वयाई लहु लइयई होसइ जइ-वि रज्जु दुच्छड्डउ विसहिउ केण दुक्खु एवड्डउ
घत्ता
कलि पंडव-कउरव-केरउ अप्पउ तव-संजम-णियमहिं
सहुँ संसारें दूसियउ । सील-गुणेहिं सयं भूसिपउ ॥
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुव-कए
पंचदशोध्यायः ॥१५॥
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