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रिट्ठणेमिचरिउ
जगे होसंति अणेय-पयारइं वाहि वइर चोरिय-परयारइं भरियउ अइ-भरियउ जे भरावइ णिद्धणु पिउ जे चवंतु ण भावइ जणण सुएहिं घरहो घल्लेवा देव-भोय गरवइहिं लएवा तवसिहि माढावत्त करेवउं पर-कलत्तु पर-दव्यु हरेवउं८
घत्ता होसइ कलिकाल-पहावेण माणुसु दीण-दयावणउं । दुकाल]त्त दु-सामि दु-भिच्चेहि जिमियहं घरे वद्धावणउं ॥ ९
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अज्झयणई परिहरिएवाई सुद्दिहिं होएवउ राणएहिं वेसत्तणु पिउ कुल-उत्तियह होसंति गाम पील-वहुल रण्णई ववूल-दुम-दूसियई धण्णइं अवदाय-इत्ति-हयई कुरु-जंगलु होसइ मइर-पिउ अवरइ मि असारई जेत्तियई
विप्पिहिं करिसणई करवाई चंडालिहिं आगम-जाणएहिं पय-दंडणु खंडणु खत्तियह पिप्पल-विकाय-वाउलि-मुहल
खेत्तइ-मि स-सक्कर-मीसियई कुलइ-मि दुच्चरिय-भाव-गयई मंसायरि दाहिण-देसि थिउ उवमा य कहेसहुं केत्तियइं घत्ता दुट्टहिं दुज्जस-मंडवेहिं । रज्जु करेवउ पंडवेहि ॥
कइहि-मि दिवसहं अब्भंतरि कुरुएहिं कुरु-खेत्ति मरेवउ
चंपाहिवइ वहेवउ पत्थे अज्जुण-सुउ दूसासण-जाएं
सरि-सुउ मरइ सिहंडिहे हत्थे
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